________________ 10 : जैनधर्म के सम्प्रदाय पुरुष का तात्पर्य विशेष गणमान्य व्यक्तियों से है। कुलकरों के पश्चात् ऐसे त्रेसठ महापुरुष हुए हैं, जो शलाकापुरुष माने जाते हैं। जैन पुराणों में इनका वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है। इन त्रेसठशलाका पुरुषों में चौबीस तीर्थंकर, बारह चक्रवर्ती, नौ बलभद्र, नौ नारायण और नौ प्रतिनारायण हैं। विस्तार में नहीं जाते हुए हम मात्र इनका नामोल्लेख ही करेंगे। चौबीस तीर्थकर : (1) ऋषभदेव, (2) अजितनाथ, (3) संभवनाथ, (4) अभिनन्दन, (5) सुमतिनाथ, (:) पद्मप्रभ, (7) सुपार्श्वनाथ, (8) चन्द्रप्रभ, * (9) पुष्पदंत, (10) शीतलनाथ, (11) श्रेयांसनाथ, (12) वासुपूज्य. (13) विमलनाथ, (14) अनन्तनाथ, (15) धर्मनाथ, (16) शान्तिनाथ, (17) कुन्थुनाथ, . (18) अरहनाथ, (19) मल्लिनाथ, (20) मुनि सुव्रत, (21) नेमिनाथ, (22) अरिष्टनेमि, (23) पार्श्वनाथ और (24) महावीर / बारह चक्रवर्ती : (25) भरत, (26) सगर, (27) मघवा, (28) सनत्कुमार, (29) शान्ति, (30) कुन्थु, (31) अरह, . (32) सुभौम, (33) पद्म, (34) हरिषेण (35) जयसेन और (36) ब्रह्मदत्त। नौ बलभद्र : (37) अचल, (38) विजय, (39) भद्र, (40) सुप्रभ, (41) सुदर्शन, (42) आनन्द, (43) नन्दन, (44) पद्म और (45) राम / नौ नारायण : (46) त्रिपृष्ठ, (47) द्विपृष्ठ, (4) स्वयंभू, (49) पुरुषोत्तम, (50) पुरुषसिंह, (51) पुरुषपुण्डरीक, (52) दत्त, (53) नारायण और (54) कृष्ण / नौ प्रति-नारायण : 1. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, पृ० 10