________________ विभिन्न सम्प्रदायों की श्रमणाचार संबंधी मान्यताएं : 195 में देश और काल के आधार पर अधिकांश सम्प्रदायों के श्रमणों ने अपने आचार-नियमों में व्यापक परिवर्तन कर लिए हैं, तथापि कुछ सम्प्रदाय अभी भी ऐसे हैं जो यथासम्भव शास्त्रसम्मत आचार-नियमों का ही पालन कर रहे हैं। निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परंपराएं वस्तुतः श्रमणाचार के माध्यम से एक आदर्श व्यक्तित्व का विकास करना चाहती हैं।