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________________ 142 : जैनधर्म के सम्प्रदाय स्त्री मुक्ति का प्रश्न : __स्त्री मुक्ति के प्रश्न पर यदि हम ऐतिहासिक दृष्टि से विचार करें तो हमें सर्वप्रथम उत्तराध्ययनसूत्र में स्त्री को तद्भव मुक्ति का स्पष्ट उल्लेख प्राप्त होता है।' इसके अलावा श्वेताम्बर परम्परा के मान्य आगम ज्ञाताधर्मकथासूत्र में भी मल्ली अध्याय में स्त्रीमुक्ति का उल्लेख है। चणि साहित्य में भी मरूदेवी की मुक्ति का कथन है। इससे यह * फलित होता है कि ईस्वी सन् की चौथी-पाँचवीं शताब्दी तक जेन प्रम्परा में कहीं भी स्त्रीमुक्ति का निषेध नहीं था। स्त्रीमुक्ति का सर्वप्रथम निषेध दिगम्बर आचार्य कुन्दकुन्द के सूत्रपाहुड में पाया जाता है। षट्-खण्डागम यद्यपि कुन्दकुन्द का समकालीन ग्रन्थ है फिर भी उसमें स्त्री मक्ति का निषेध नहीं है, अपितु मूल ग्रंथों में तो पर्याप्त मनुष्यनी (स्त्री) में चौदह ही गुणस्थानों की संभावना स्वीकार कर स्त्री मुक्ति को मान्य 'किया गया है / यहाँ हम देखते हैं कि पूर्व पक्ष के रूप में स्त्री मुक्ति का समर्थन हमें ईस्वी पूर्व के ग्रंथों में मिलता है जबकि स्त्री मुक्ति का निषेध कुन्दकुन्द के पूर्व के किसी ग्रन्थ में नहीं मिलता है। यद्यपि यह भी विवाद का विषय है कि सूत्रपाहुड कुन्दकुन्द की रचना है भी या नहीं? कदाचित एक बार हम यह मान भी लें कि सूत्रपाहुड कुन्दकुन्द को रचना है तो भी कुन्दकुन्द का काल छठीं शताब्दी के पूर्व का तो नहीं माना जा सकता है। प्रो० एम० ए० ढाकी जैसे इतिहासविज्ञों ने आचार्य कुंदकुद के समय पर “विस्तार से विचार प्रस्तुत किए हैं और वे आचार्य कंदकुंद को छठी शताब्दी के पूर्व का किसी भी स्थिति में नहीं स्वीकारते हैं। इस आधार पर भी यही फलित होता है कि दिगम्बर परंपरा में स्त्रीमुक्ति निषेध की अवधारणा ६ठीं शताब्दी के लगभग बनी है। तत्त्वार्थभाष्य में सिद्धों के अनुयोगद्वारों की चर्चा करते हुए लिंगा 1. उत्तराध्ययनसूत्र, 36049 2. ज्ञाताधर्मकथाङ्ग, 8.195 3. आवश्यकचूर्णि, भाग 1, पृ० 181 एवं भाग 2, पृ० 212 . 4. सूत्रपाहुड, गाथा 23-26 5. दृष्टव्य है-स्त्री मुक्ति प्रकरण, जैन धर्म का यापनीय सम्प्रदाय 6. Aspects of Jainology Vol. 3, Page. 196
SR No.004297
Book TitleJain Dharm ke Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1994
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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