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________________ 112 : जगवर्म के सम्मान 2 श्रीमद्राजचंद्र ने अपने समय में श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों परम्पराओं के मध्य समन्वय का कार्य किया था। उनके अनुसार श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा में तात्त्विक दृष्टि से कोई भिन्नता नहीं है, जो कुछ भिन्नता है वह वैचारिक दृष्टि से ही है। प्रारम्भ में राजचन्द्र प्रतिमापूजा के विरोधी थे परन्तु बाद में वे प्रतिमापूजा को मानने लगे थे।' इस पंथ में कोई साध-साध्वियां नहीं हैं। "श्रीमदराजचंद्र" को कुतियों को ही इसके अनुयायी आगम को तरह पूज्य मानते हैं / इस पंथ के अनुयायी बाह्य क्रियाओं को अधिक महत्त्व नहीं देते थे। किन्तु अब ये श्रीमद्राजचंद्र की प्रतिमा के पूजन को महत्त्व देने लगे हैं। श्रीमद्राजचंद्र द्वारा रचित साहित्य-स्त्रीनीतिबोध, काव्यमाला, वचनसप्तशती, पुष्पमाला, मोक्षमाला, भावनाबोध, वचनामृत और आत्मसिद्धिशास्त्र आदि हैं।२ __ श्रीमद्राजचंद्र का 33 वर्ष की आयु में ही राजकोट में निधन हो गया। यद्यपि श्रीमद्राजचंद्र के जीवनकाल में उनके अनुयायियों की संख्या कम थी, किन्तु उनके देहावसान के पश्चात् इस पंथ के अनुयायियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई। दिगम्बर परम्परा के विविध सम्प्रदायों के उत्पत्ति स्थल एवं उत्पत्तिकाल की चर्चा हमने यहां की है, किन्तु पर्याप्त प्रमाणों के अभाव में इन सम्प्रदायों की आचार्य परम्परा तथा श्रमणों एवं आर्यिकाओं का संख्यात्मक विवरण हम प्रस्तुत नहीं कर सके हैं। यद्यपि श्री बाबूलाल जैन ने समग्र जैन चातुर्मास सूची वर्ष 1991 में दिगम्बर परम्परा के विविध सम्प्रदायों के श्रमणों एवं आर्यिकाओं की संख्या क्रमशः 245 एवं 178 मानी है, किन्तु स्वयं श्री जैन भी इस संख्या को पूर्ण नहीं मान रहे हैं / उनका भी यही कहना है कि प्रयत्न करने पर भी दिगम्बर परम्परा के सभी आचार्यों एवं श्रमणों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं मिल सकी है। दिगम्बर परम्परा में श्रमणों एवं आर्यिकाओं के अतिरिक्त अनेक क्षुल्लक, क्षुल्लिकाएँ, व्रती एवं ब्रह्मचारी भी हैं, किन्तु इनका भी संख्यात्मक विवरण अनुपलब्ध है। 1. शास्त्री, जगदीशचन्द्र-श्रीमद्राजचन्द्र, पूर्व पृ० 23-24. 2. वही, पूर्व पृ० 32-36
SR No.004297
Book TitleJain Dharm ke Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1994
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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