________________ जैनधर्म के सम्प्रदाय : 89 66. हर्षपुरीय गच्छ : ___इस गच्छ की उत्पत्ति हरसूर (वर्तमान हर्षपुरा ) से हुई थी, ऐसा माना जाता है। राजस्थान में नागौर स्थित बड़ा मन्दिर को अजितनाथ “पंचतीर्थी पर अंकित 1498 ई०के एक मूर्तिलेख में इस गच्छ का उल्लेख 'मिलता है।' उत्पत्ति स्थल के अतिरिक्त इस गच्छ से सम्बन्धित अन्य जानकारियां अज्ञात हैं। "67. प्रभाकर गच्छ : 1520 ई. के एक मात्र अभिलेख में इस गच्छ के नामोल्लेख के साथ ही किन्हीं भट्टारक पूज्यकोति और उनके पट्टधर लक्ष्क्षोसागरसूरि “का नाम भी उपलब्ध होता है। इस गच्छ की उत्पत्ति एवं मान्यता -संबंधो अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। 68. निगम प्रभावक गच्छ : - राजस्थान के सिरोही राज्य से प्राप्त 1524 ई० के 2 प्रतिमालेखों में इस गच्छ का उल्लेख मिलता है। इन दोनों ही लेखों में इस गच्छ के मुनि आणन्दसागरसरि का नाम उल्लिखित है। कई गच्छों को तरह इस गच्छ के सन्दर्भ में भी विस्तृत जानकारी अनुपलब्ध है। 69. सुविहित पक्ष गच्छ : - ऐसा माना जाता है कि इस गच्छ को उत्पत्ति चैत्यवास परम्परा के 'विरोधस्वरूप हुई थी। 1555 ई० के एक अभिलेख में इस गच्छ के नामोल्लेख के साथ ही किन्हीं भावसागरसूरि और उनके पट्टधर धर्ममूर्तिसूरि का भी नाम उपलब्ध होता है। इस गच्छ के सन्दर्भ में भी और अधिक जानकारी ज्ञात नहीं होतो है। 70. सुधर्म गच्छ: 1. 1601 ई० के एक मात्र मूर्तिलेख में इस गच्छ का उल्लेख उपलब्ध होता है / यह लेख भैंसरोडगढ़ स्थित ऋषभदेव मन्दिर को अजितनाथ 1. प्रतिष्ठालेख संग्रह, क्रमांक 879 2. जैन लेख संग्रह, भाग 1, क्रमांक 813 ... 3. श्री चैन प्रतिमा लेख संग्रह, क्रमांक 80, 241 4. प्रतिष्ठा लेख संग्रह, क्रमांक 1011 1. वही, क्रमांक 1074