SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका : 17 एवं पाक्षिक सूत्र की सूचियों में चतुःशरण का उल्लेख नहीं है, वहां आचार्य जिनप्रभ की सूचियों में चतुःशरण का स्पष्ट उल्लेख है। इसका फलितार्थ यह है कि चतुःशरण प्रकीर्णक नन्दीसूत्र और पाक्षिकसूत्र के परवर्ती किन्तु विधिमार्गप्रपा से पूर्ववर्ती है। चतुःशरण प्रकीर्णक पइण्णयसुत्ताई भाग 1 को आधार बनाकर प्रस्तुत कृति में कुशलाबुबंधी चतुःशरण और चतुःशरण इन दो प्रकीर्णकों का गाथानुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है। कुशलानुबन्धी चतुःशरण भी चतुःशरण प्रकीर्णक का ही अपरनाम है। दोनों ही प्रकीर्णकों की यद्यपि एक भी गाथा शब्द रूप में समान नहीं है तथापि भाव रूप में दोनों प्रकीर्णकों की विषयवस्तु प्रायः समान ही है। इनमें चारगति शरणा, दुष्कृत्य की निन्दा और सुकृत्य की अनुमोदना का निरूपण हुआ है। ___ कुशलानुबंधी चतुःशरण एवं चतुःशरण प्रकीर्णक में प्रयुक्त हस्तलिखित प्रतियाँ प्रस्तुत संस्करणों का मूल पाठ मुनि श्री पुण्यविजयजी द्वारा संपादित एवं श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई से प्रकाशित “पइण्णयसुत्ताई” ग्रन्थ से लिया गया है। मुनि श्री पुण्यविजय जी ने इस ग्रन्थ के पाठ निर्धारण में निम्नलिखित प्रतियों का उपयोग किया है. - 1.जे : आचार्य श्री जिनभद्रसूरि जैन ज्ञान भण्डार की ताडपत्रीय प्रति। 2.हं. : श्री आत्मारामजी जैन ज्ञान मन्दिर, बड़ौदा में उपलब्ध प्रति। यह प्रति मुनि श्री हंसराजजी के हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रह की है। . 3.सा. : आचार्य श्री सागरानन्दसूरिश्वरजी द्वारा सम्पादित एवं वर्ष 1927 में आगमोदय समिति, सूरत द्वारा प्रकाशित प्रति। 4.ला : लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद में संग्रहित प्रति। 5. सं० : संघवीपाड़ा जैन ज्ञान भण्डार की उपलब्ध ताड़पत्रीय प्रति।
SR No.004296
Book TitleChausaran Painnayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya, Manmal Kudal
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1999
Total Pages74
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_chatusharan
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy