SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पयोनिधि, कविकुलराज आदि उपाधियां प्राप्त हुई थी और इन्होंने षण्णवतिप्रकरण, युक्तिचिन्तामणि सूत्र, महेन्द्रमातलिसंजल्प, यशोधरमहाराजचरित इन ग्रन्थों के लिखने के अनन्तर नीतिवाक्यामृत लिखा था। पण्डितराज जगन्नाथ की तरह यह भी एक स्वाभिमानी मनीषी थे किन्तु इसके साथ ही शिष्टाचार की भी इनमें कमी न थी। यह छोटे-मोटे पण्डितों के साथ शास्त्रार्थ आदि में नहीं प्रवृत्त होते थे। इस प्रसंग के श्लोक जो नीतिवाक्यामृतम् को प्रशस्ति में लिखे गये हैं निम्नाङ्कित हैं "अल्पेऽनुग्रहधीः समे सुजनता, मान्ये महानादरः सिद्धान्तोऽयमुदात्तचित्रचरिते श्रीसोमदेवे मयि / यः स्पर्धेत तथापि दर्पदृढता प्रौढिप्रगाढाग्रह. स्तस्याखर्वितगर्वपर्वतपविर्मवाक् कृतान्तायते // ... सकलसमयतर्के नाकलङ्कोऽसि वादी न भवसि समयोक्तौ हंससिद्धान्तदेवः / न च वचनविलासे पूज्यपादोऽसि तत् त्वं वदसि कथमिदानीं सोमदेवेन सार्धम् / / दर्पान्धबोधबुधसिन्धुरसिंहनादे ___ वादिद्विपोद्दलनदुर्धरवाग् विवादे / श्री सोमदेवमुनिपे वचनारसाले . वागीश्वरोऽपि पुरतोऽस्ति न वादकाले // " इन श्लोकों से इनकी निज की प्रकृति का परिचय प्राप्त होता है जिससे यह उदात्तचरित्र के आत्माभिमानी और वाद-विवाद में अपराजेय प्रतिभावाले व्यक्ति सिद्ध होते हैं। इसी प्रकार यशस्तिलकचम्पू में भी इन्होंने अनेक पद्य अपने परिचय के विषय में लिखे हैं / उदाहरणार्थ एक श्लोक निम्नाङ्कित है "मया वागर्थसम्भारे भुक्ते सारस्वते रसे / कवयोऽन्ये भविष्यन्ति नूनमुच्छिष्टभोजनाः // " इनकी प्रौढ विद्वत्ता की पुष्टि के लिये यशस्तिलकचम्पू पर्याप्त है / उसके गद्य और पद्यों की भाषा कादम्बरी के जोड़ की है और सूक्तियाँ सरस तथा नीतिपूर्ण होने के कारण बड़ी ही मनोहारिणी हैं। इनके पद्यों में प्रसाद गुण के साथ प्रौढ़ तक और दृष्टान्त भी हैं जिनके कारण वे हृदय में अपना स्थान सद्यः बना लेते हैं / यशस्तिलक से उद्धृत निम्न सूक्ति कितनी मार्मिक है
SR No.004293
Book TitleNitivakyamrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomdevsuri, Ramchandra Malviya
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1972
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy