SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकीर्णसमुद्देशः 166 (ऋणशेषा रिपुशेषादिवावश्यं भवति, आयत्यां भयम् // 68 // ऋण के शेष रहने देने से शत्रु के शेष के समान ही भविष्य में अवश्य संकट माता है। (नवसेवकः को नाम न भवति विनीतः॥ 6 // कौन नया सेवक विनीत नहीं होता, प्रारम्भ में तो सभी नौकर-चाकर बड़ी नम्रता प्रदर्शित करते हैं पर जो आगे चलकर पुराना होने पर भी नम्र बना रहे वही उत्तम सेवक है / (यथाप्रतिज्ञं को नामात्र निर्वाहः // 70 इस जगत में अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार कौन अपना जीवन-निर्वाह कर पाता है अर्थात् संसार में अनेक अप्रत्याशित घटनाएं और कठिनाइयां उपस्थित होती हैं जिनसे मनुष्य जैसा चाहता है वैसा जीवन निर्वाह नहीं कर पाता। (अप्राप्तेऽर्थे भवति सर्वोऽपि त्यागी // 1 // धन न मिलने पर सभी त्यागी बन सकते हैं / अर्थात् जब तक मनुष्य के पास पैसा नहीं आता तभी तक वह तरह-तरह के दान-यज्ञ आदि के मनोरथ करता है बाद में पैसा आ जाने पर वह दान आदि शुभ कर्मों से मुख मोड़ लेता है --- अर्थार्थी नीचैराचरणान्नोद्विजेत् , किन्नाधो ब्रजति कृपे जलार्थी / / 72 घनाभिलाषी अथवा प्रयोजनार्थी को किसी प्रकार का क्षुद्र कार्य करने में संकोच नहीं करना चाहिए क्या जलाभिलाषी पुरुष कुआं खोदते समय नीचे नहीं जाता। (स्वामिनोपहतस्य तदाराधनमेव निवृतिहेतुः, जनन्या कृतविप्रियस्य हि बालस्य जनन्येव भवति जीवितव्यकारणम् / / 73 // ) स्वामी के द्वारा दण्डित या ताड़ित होने पर उसी की आराधना करने से ही सुख मिलता है, कुपित माता जब बालक को मारती है तब अन्त में वही माता ही उसके जीवन का कारण होती है / अतः मालिक द्वारा निकाले गये नौकर को पुन: उसी को सेवा से प्रसन्न कर अपनी नौकरी आदि प्राप्त करनी चाहिए। [इति प्रकीर्णसमुद्देशः] | इति सकलतार्किकचक्रचूडामणिचुम्बितचरणस्य रमणीयपञ्चपञ्चाशन्महावादिविजयोपार्जितकीत्तिमन्दाकिनीपवित्रितत्रिभुवनस्य परतपश्चरणरत्नोदन्वतः श्रीनेमिदेवभगवतः प्रियशिष्येण वादीन्द्रकालानल.
SR No.004293
Book TitleNitivakyamrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomdevsuri, Ramchandra Malviya
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1972
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy