________________ दिवसानुष्ठानसमुद्देशः अत्यन्त थका हुआ व्यक्ति यदि विश्राम किये बिना भोजन या जलपान करता है तो उससे उसे ज्वर या वमन होता है।) न जिहत्सुन प्रस्रोतुमिच्छर्नासमञ्जसमनाश्च नानपनीय पिपासोद्रेकमश्नीयात् // 46 // ___जब मल और मूत्र त्याग की इच्छा हो मन आकुल हो और अत्यधिक प्यास लगी हो तब मल-मूत्र त्याग किये बिना और मन को शान्त तथा प्यास को दूर किये बिना भोजन न करे / ) (भुक्त्वा व्यायामव्यवायौ सद्यो विपत्तिकारणम् // 50 // भोजन के अनन्तर शीघ्र ही व्यायाम और मथुन करने से तत्काल आपत्ति अर्थात् व्याधि उत्पन्न होती है।) (आजन्मसात्म्यं विषमपि पथ्यम् / / 51 // ) जन्मकाल से ही जो भोज्य अपनी प्रकृति के अनुकूल हो गया हो वह विष भी पथ्य होता है। असात्म्यमपि पथ्यं सेवेत न पुनः सात्म्यमप्यपध्यम् // 52 // प्रकृति के अनुकूल न भी हो किन्तु पथ्य हो तो उसका सेवन करना / चाहिए, किन्तु प्रकृति के अनुकूल पड़ने पर भी अपथ्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। (सर्व बलवतः पथ्यमिति न कालकूट सेवेत // 53 // ) . बलशाली के लिये सब कुछ पथ्य ही है ऐसा समझकर कालकूट अर्थात् जहर न खावे / - सुशिक्षितोऽपि विषतन्त्रज्ञो म्रियत एव कदाचिद् विषात् // 54 // ) विषशास्त्र को जानने वाला सुशिक्षित भी व्यक्ति कभी विष से ही मर जाता है। (संविभज्यातिथिष्वाश्रितेषु च स्वयमाहरेत् // 45 // ) * भोज्य पदार्थ को अतिथियों और आश्रितों को बांट कर तब स्वयं भोजन करे। (देवान् गुरून धर्म चोपचरन्न व्याकुलमतिः स्यात् // 56 // ) देवता गुरु और धर्म की सेवा के समय चित्त को अशान्त न रक्खे / (व्याक्षेपभूमनोनिरोधो मन्दयति सर्वाण्यपीन्द्रियाणि / / 57 / / चित्त में चञ्चलता उत्पन्न करने वाले स्थान पर बैठकर मन का निरोध करने से समस्त इन्द्रिया शिथिल हो जाती हैं। (स्वच्छन्दवृत्तिः पुरुषाणां परमं रसायनम् // 58 // ) स्वच्छन्दता-पूर्वक जीवन निर्वाह करना मनुष्य के लिये उत्कृष्ट रसायन है।