________________ 12 // राजरक्षासमुद्देशः नहीं लेतीं / अर्थात स्त्री को अति स्वतन्त्र करने का परिणाम पति की मृत्य है। ___स्त्री वशवर्ती होने का कुफल-- (स्त्रीवशपुरुषो नदीप्रवाहपतितपादप इव न चिरं नन्दति / / 41 // स्त्री के वश में पड़ा हुआ पुरुष नदी के प्रवाह में पड़े हुए वृक्ष के समान चिरकाल तक सुखी नहीं रहता। जिस प्रकार नदी की धार में पड़ा हुआ पेड़ थोड़ी ही देर में उखड़ कर नष्ट हो जाता है उसी प्रकार स्त्री के अत्यन्त अधीन हुआ पुरुष शीघ्र नष्ट हो जाता है। स्त्री को वशत्तिनी बनाने का लाभ(पुरुषमुष्टिस्था स्त्री खड्गयष्टिरिव कमुत्सवं न जनयति // 42 // तलवार की मूठ को हाथ में लेकर वीर पुरुष उसे चाहे जैसे चलाकर जिस प्रकार आनन्दित होता है उसी प्रकार स्त्री को अपनी मूठी में दबाकर अर्थात् अपने वश में रख कर कौन सा. ऐसा आनन्द है जिसका उपयोग पुरुष नहीं कर सकता / अर्थात् सभी सुख प्राप्त कर सकता है। स्त्री-शिक्षा की नीतिनातीव स्त्रियो व्युत्पादनीयाः, स्वभावसुभगोऽपि शास्त्रोपदेशः स्त्रीषु, शस्त्रीषु पयोलव इव विषमतां प्रतिपद्यते / / 43 // स्त्रियों को शास्त्र की अधिक शिक्षा नहीं देनी चाहिए। स्वभावतः मनोरम भी शास्त्रोपदेश स्त्रियों को उसी प्रकार विनष्ट कर देता है जिस प्रकार छुरी या तलबार पर पड़ी हुई पानी की बूंद भी उसमें मोर्चा आदि लगाकर उसे नष्ट कर देती है। वेश्या को द्रव्योपहार देने का क्रमअध्रवेण साधिकोऽप्यर्थेन वेश्यामनुभवति // 44 // अधिक धन वाला भी व्यक्ति अनिश्चित अर्थ-दान से वेश्या का उपभोग करे / अर्थात् उसके लिये कोई निश्चित द्रव्य राशि का प्रबन्ध न कर दे / उसे कभी थोड़ा कभी अधिक धन देता रहे इससे आशा-वश वेश्या की अनुरक्ति बनी रहती है अन्यथा निश्वित, आय समझकर वह विरक्त होकर अनर्थ करने लगती है। . वेश्या सम्बन्धी कुछ उत्तम उपदेश- . .. विसर्जनाकारणाभ्यां तदनुभवे महाननर्थः // 45 // वेश्या को नित्य घर पर बुलाना और भेजना--इस प्रकार से वेश्या का