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________________ नीतिवाक्यामृतम् (मूर्खस्य नियोगे भर्तुर्धर्मार्थयशसां सन्देहो, निश्चितौ चानर्थ नरकपातौ // 40 // मूर्ख पुरुष को अधिकारी बनाने से स्वामी के धर्म अर्थ और यश सन्दिग्ध हो जाते हैं तथा अनर्थ और नरक गमन तो निश्चित ही होता है।) (किं तेन परिच्छदेन यत्रात्मक्लेशेन कार्य सुख वा (स्वामिनः) // 41 / / उस अधिकारिवगं से क्या लाभ है जिसके रहते हुए स्वामी को स्वयं पष्ट उठाना पड़े और तब उसका कार्य पूर्ण हो अथवा सुख प्राप्त हो ) का नाम निवृतिः स्वयमूढतृणभोजिनो गजस्य / / 42 // स्वयं ठोकर लाई गई घास को खाने वाले हाथी को क्या सुख होगा?) सैन्धवाश्वधर्माणः पुरुषाः कर्मसु विनियुक्ता विकुर्वते तस्मादहन्यहनि तान् परीक्षेत् / / 43 // ) .. सिन्धु देशीय घोड़ों के समान आचरणशील अधिकारी पुरुष जब कार्यों में लगा दिये जाते हैं तब बिगड़ जाते हैं अतः राजा को चाहिए कि प्रतिदिन इन अधिकारियों के विषय में जांच करता रहे। कहा जाता है कि सिन्धु देश के घोड़े जब गाड़ी आदि में जोते जाते हैं अथवा उनसे सवारी का काम लिया जाने लगता है तब वे उपद्रव करना प्रारम्भ करते हैं और सवार को गिरा देते हैं गाड़ी को उल्ट देते हैं इत्यादि / इसी प्रकार कुछ अधिकारी भी अधिकार पाकर स्वच्छन्द अथवा मदमत्त होकर राज्य की प्रतिष्ठा की हानि करते हैं / ) (मार्जारेषु दुग्धरक्षणमिव नियोगिषु विश्वासकारणम् / / 44 // बिल्ली से दूध की रक्षा होने के समान नियोगियों-अधिकारियों पर विश्वास करना व्यर्थ है। (ऋद्धिश्चित्तविकारिणी नियोगिनामिति सिद्धानामादेशः // 45 // ) सिद्ध महात्माओं का यह आदेश है कि ऐश्वयं अधिकारियों के चित्त को विकत बना देता है। सर्वोऽप्यतिसमृद्धो भवत्यायत्यामसाध्यः कृच्छ्रसाध्यः स्वामिपदाभि. लाषी वा // 46 // प्रायः समस्त अधिकारी अत्यन्त ऐश्वर्यशाली हो जाने पर अन्त में स्वामी के वश में नहीं होते अथवा बड़ी कठिनता से अनुकूल होते हैं या फिर स्वयं स्वामि-पद प्राप्ति का अभिलाष करते हैं।) (भक्षणमुपेक्षणं, प्रज्ञाहीनत्वमुपरोधः प्राप्ताप्रिवेशो द्रव्यविनिमयश्चेत्यमात्यदोषाः॥४७॥ राज्य सम्पत्ति को धात्मसात् करना, राज्य सम्पत्ति की सुरक्षा में और
SR No.004293
Book TitleNitivakyamrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSomdevsuri, Ramchandra Malviya
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1972
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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