________________ ( 10 ) कार्य को शीघ्र से शीघ्र पूरा कर देने के लिये प्रेरित करते हुए साहित्यिक साधन भी उपलब्ध किये, किन्तु मुझे खेद है कि मैं अपने मित्र के अभिलाष के अनुकूल आचरण न कर सका और विलम्ब करता रहा। मैं इन सौजन्यमूत्ति का आभारी हूँ कि इन्होंने अपनी उदारवृत्ति के कारण कभी भी खीझ का अनुभव नहीं किया और मुझे बराबर प्रेरित ही करते रहे। मैंने इसका गभीर अध्ययन नहीं किया है और यावबुद्धि इसका हिन्दी अनुवाद अन्य कार्यों की व्यस्तता के साथ सम्पन्न किया है। कहीं अर्थ का अनर्थ भी हुआ होगा। पर मेरी इच्छा है कि इसके पाठान्तरों का कई प्रतियों से मिलान कर तथा ग्रन्थंकार के समय आदि के विषय में सम्यग् अध्ययन कर मैं इसका प्रामाणिक संस्करण प्रस्तुत करूं अतः तब तक विद्वज्जन मुझे इसकी त्रुटियों के विषय में सूचित करते रहें और मुझे मेरी भूलों के लिये क्षमा करें। अनुवाद करते समय वर्तमान किन्तु सम्प्रति दिवङ्गता मैरी साध्वी धर्मपत्नी ने जो सुख सुविधा तत्काल प्रदान की थी तदर्थ उसकी सौम्य मूत्ति संगमरमर की शुभ्रशिला पर कुशल शिल्पी द्वारा उत्कीर्ण जीवन्त प्रतिमा के समान मुत्तिमती हो उठी है और उसके लिये मैं उसको इस समय सप्रेम, स्मरण करता हूँ। ___इस ग्रन्थ के प्रकाशन में चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस तथा चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी के अध्यक्ष महोदय ने जो तत्परता और उदारता बरती है वह उनकी शालीनता, संस्कृत भाषा के प्रसार के प्रति सजीव निष्ठा और सदाशयता के अनुरूप ही है अतः उनसे उपकृत अनेकानेक विद्वज्जनों की भांति मैं भी उनके प्रति अपना हादिक हर्षभार प्रकट करता हुँ / दीपावली / सं० 2029 / -रामचन्द्र मालवीय