________________ स्वामिसमुद्देशः जो चाहे सो करने वाला अर्थात् अत्यन्त स्वेच्छाचारी पुरुष कभी न कभी पात्मीय अथवा पराए लोगों के द्वारा मार डाला जाता है। ऐश्वर्य का फल आज्ञाफलमैश्वर्यम् // 22 // आज्ञा प्रदान करना और उसका पूर्ण होना ऐश्वर्य का फल है। अर्थात् ऐश्वयं और अधिकार तभी सफल है जब आज्ञा देने का सामर्थ्य हो और लोग उसका पालन करें। धन का फलदत्तभुक्तफलं धनम् / / 23 // दान देना और उसका उपभोग करना धन का फल है / अर्थात् धन तभी सफल है जब दान दिया जाय और तदनुकूल सुख भोगा जाय / ___ 'स्त्री' की उपयोगिता रतिपुत्रफला दाराः / / 24 / / सम्भोग और सन्तान की प्राप्ति स्त्री होने का फल है। अर्थात् सुखप्राप्ति और सन्ततिलाभ न हुआ तो स्त्री का होना व्यर्थ है / राजाज्ञा की उत्कृष्टता - (राजाज्ञा हि सर्वेषामलड्ध्यः प्राकारः / / 25 / / ) राजाज्ञो सब के लिये अलक्ष्य प्राकार-चहारदीवारी या खाई के समान है / जिस प्रकार किले की रक्षा के लिये बनाया गया प्राकार दुलंध्य होता है उसी प्रकार राजाज्ञा का भी उल्लङ्घन नहीं किया जा सकता। ___ अपनी आज्ञा के विषय में राजा का कर्तव्य (आज्ञाभङ्गकारिणं सुतमपि न सहेत // 26 // राजा को चाहिए कि यदि उसका पुत्र भी उसकी आज्ञा का उल्लङ्घन करे तो उसको सहन नहीं करना चाहिए / कस्तस्य चित्रगतस्य च राज्ञो विशेषो यस्याज्ञा नास्ति // 27 // जिसकी आज्ञा का पालन नहीं होता उस राजा में और चित्र में बने हुए राजा में क्या विशेषता है ? ___ उल्लङ्घन का दण्डराजाज्ञावरुद्धस्य पुन-स्तदाज्ञाऽप्रतिपादनेन उत्तमःसाहसोदण्डः // 28 // जो राजा की आज्ञा से अवरुद्ध हुआ हो अर्थात् जेल आदि में बन्दी हो और पुन: आज्ञा का उल्लङ्घन करे तो उसे 1000 पण का 'उत्तम साहस' दण्ड देना चाहिए। (सम्बन्धाभावे तहातुश्च / / 26 / /