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________________ [ 18 ] में जा बिठाया / यह होना विकास की दृष्टि से स्वाभाविक ही नहीं, आवश्यक पाणिनि को ऐतिहासिकता __ उक्त विवेचन से यह कदापि अभिप्रेत नहीं कि पाणिनि-नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं हुआ। यद्यपि अष्टाध्यायी के कर्ता को पाणिन, पाणिनि, दाक्षीपुत्र, शालकि, शालातुरीय, पाहिक तथा पणिपुत्र कहा गया है, परन्तु इसमें कोई संदेह नहीं कि उसका लोक-प्रचलित नाम 'पाणिनि' ही था और संभवतः जब पाणिनीय-साहित्य की विशालता और गुरुता में व्याकरण के 'लघु' पक्ष को तिरोहित-सा होता हुआ पाया गया, तो उसे 'पूर्वपाणिनीय' नाम दे कर पृथक् विषय बनाने का प्रयत्न किया गया और पाणिनीय-साहित्य की नवीनता, वैज्ञानिकता एवं कृत्रिमता को ध्यान में रख कर उक्त 'पूर्वपाणिनीय' के विपरीत उसे विनोद के लिये पाणिनीय के स्थान पर पाणिनेय कहा गया हो। चन्द्रगोमि और बौद्धधर्म चन्द्रगोमि को विद्वानों ने प्रायः बौद्धमतावलम्बी माना है। इसका प्रथम माधार चान्द्रव्याकरण के प्रारम्भ में उपलब्ध श्लोक है जिसमें सिद्ध और सर्वीय गुरु को नमस्कार किया गया है / जैसा ऊपर लिखा जा चुका है, सिद्ध और सर्वशब्दों का प्रयोग वैदिक परंपरा में भी प्राप्त है और उनको 'नमः वागीश्वराय' के संदर्भ में वैदिक ही समझना चाहिए / दूसरा प्राधार' यह है कि चान्द्रव्याकरण में स्वर और वैदिक व्याकरण का अभाव है। इस प्रसंग में पं० युधिष्ठिर मीमांसक ने प्रमाण दे कर बताया है कि चान्द्र व्याकरण में उक्त दोनों विषयों का भी समावेश अवश्य था, क्यों कि चान्द्रवृत्ति 1, 1, 108 में 'स्वरं वक्ष्यामः' तथा सूत्र 3, 4, 68 में 'स्वरं तु वक्ष्यामः' प्रादि कई स्थानों पर वैदिक स्वरविधान करने की प्रतिज्ञा प्राप्त होती है और इसकी आवश्यकता तभी पड़ती जब वैदिक शब्दों की रचना का भी समावेश होता / इससे स्पष्ट है कि चान्द्रव्याकरण में किसी समय वैदिक व्याकरण का भी समावेश अवश्य था। चन्द्रगोमि के बौद्ध होने का एक अन्य प्रमाण चान्द्रव्याकरण के अन्त में उपलब्ध 'शुभमस्तु सर्वजगताम्' प्राशीर्वाद वाक्य भी है, परन्तु इस प्रकार की 1. डॉ. बेल्वेल्कर-सिस्टम आव संस्कृत ग्रॉमर, पृ. 56; ए० के० दे० इंडि० हि० वा. जून 1938, पृ.० 258 /
SR No.004292
Book TitleChandravyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1889
Total Pages270
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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