________________ समः -- सस्येन] चान्द्रव्याकरणम् [183 समः प्रतिज्ञायाम् 1 / 4 / 66 / सम्-उद्भयाम् अजः पशुषु 1 / 3 / 60 / समः समिः 5 / 2 / 110 / समः अकूजने 1 / 4 / 56 / समः सुटि सः 6 / 4 / 1 / समः गम्-ऋच्छि-पृच्छि-स्व-श्रु-वेत्तिसमज-मन-विद-सु-शी-भृञ -इणः भावे अर्ति-दृशः 1 / 4 / 71 / __ क्यप् 11378 / समो मुष्टौ 1 / 3 / 36 / समयात् यापनायाम् 4 / 4 / 44 / समो यु-द्रु-दुवः 1 / 3 / 12 / समया-निकषा-हा-धिक्-अन्तरा समो वा 1 / 1 / 124 / अन्तरेणयुक्तात् 2 / 1 / 50 / सम्राट् 6 / 4 / 10 / सम्-अव-अन्धात् तमसः . 4 / 4 / 64 / सर्तेः अपः सुक् च (उणादि) 2 / 86 / समः तते 5 / 2 / 88 / सर्तेः अयुः (उणादि) 1 / 33 / समस्तान्त-समीपयोः अयुवादीनाम् सर्वचर्मणा . कृतः 4 / 2 / / 6 / 4 / 112 / सर्वाः सर्वादिभ्यो हेत्वर्थैः 2 / 1 / 72 / समः तृतीयायुक्तात् 1 / 4 / 107 / / सर्वात् णो वा 4 / 1 / 13 / समांसमीन-अद्यश्वीन-आगवीनाः 4 / 2 / 21 / सर्वात् 4 / 1 / 11 / / समाजार्थान् समवैति 3 / 4 / 41 / सर्वात् सहः 1 / 2 / 25 / समानस्य पक्षादिषु 5 / 2 / 103 / सर्वादयो वृत्तिमात्रे 5 / 2 / 41 / समानात् 3 / 3 / 26 / सर्वादिपथि-अङ्ग-कर्म-पत्त्र-पात्रं व्याप्नोति समानादिभ्यः 2 / 3 / 33 / 4 / 2 / 11 / समान-अन्य-त्यदादेः उपमानात् व्याप्ये सर्वादि-बहुभ्यः अद्वयादिभ्यः 4 / 3 / 7 / दृशः क्स-कौ च 1 / 2 / 51 / सर्वादिभ्यः स्मै-स्मातौ 2 / 1 / 6 / समानोदरे शयितः 3 / 4 / 106 / / सर्वादीनाम् 4 / 3 / 60 / समापो नाम्नि 5 / 2 / 115 / सर्वान्नम् अत्ति 4 / 2 / 15 / समायाः खः 4 / 1 / 100 / सर्व-अभि-परि-उभयात् तसा 2 / 1 / 52 / समासान्तः 4 / 4 / 52 / सर्व-एक-अन्य-किम्-यत्-तद: काले दा समासे अङ्गले: सङ्गः 6 / 4 / 66 / 4 / 3 / 13 / समासे अनुत्तरस्य 6 / 4 / 36 / सर्व-उत्तर-दक्षिणादेः खः 3 / 4 / 76 / समाहारे 5 / 3 / 143 / ससंख्यस्य अनादौ सः 6 / 4 / 32 / / समाहारे नपुंसकम् 2 / 2 / 46 / / ससंख्यात् अमः क्यच् वा 1 / 1 / 24 / समिधः आधाने षेण्यण् 3 / 3 / 102 / स-सजुषो रुः 6 / 3 / 68 / सम्-उत्-आङभ्यः यमेः अग्रन्थे स-स्नौ स्तुतौ 4 / 4 / 24 / 1 / 4 / 12 / सस्येन परिजातः 4 / 2 / 73 /