________________ शसः- शूल] चान्द्रव्याकरणम् [179 शसः नः 2 / 1 / 28 / शिशुक्रन्दादीन् अधिकृत्य कृते ग्रन्थे छः शाकलात् वा 3 / 3 / 66 / 3 / 3 / 56 / शाखादिभ्यः यः 4 / 3 / 81 / शि-सुटि 5 / 3 / 7 / शा-छा-सा-ह्वा-व्या-वे-पां युक् 6 / 1 / 46 / शि-सुटि ए: 5 / 4 / 36 / शाणात् 4 / 1 / 45 / शीङः एत् अलिटि 6 / 2 / 73 / शात् 6 / 4 / 136 / शीङः फुट च् (उणादि) 3108 / शानच् 1 / 2 / 86 / शीङ: धुक् (उणादि) 1 / 37 / शान्-दान्-मानः 111 / 21 / शीङः रत् 1 / 4 / 7 / शालातुरीयः 3 / 3 / 56 / शीतात् च कारिणि 4 / 2 / 78 / शाल्वाङ्ग-प्रत्यग्रथ-कलकूट-अश्मकात् इञ् शीत-उष्ण-तृप्रं न सहते 4 / 2 / 158 / . 2 / 4 / 103 / शीर्ष-कुमारात् णिनिः 1 / 2 / 38 / शाल्वात् गो-यवाग्वोः . 3 / 2 / 50 / शीर्षच्छेदात् यत् च 4 / 1 / 76 / शासः क्ङिति शिस् 5 / 3 / 57 / शीर्षः अचि 5 / 2 / 64 / शासि-युधि-दृशि-धृषि-मृषः 1 / 3 / 106 / शीलम् 3 / 4 / 62 / . शा हौ 5 // 3 // 56 / शील-साधु-धर्मेषु तृन् 1 / 2 / 86 / शिक्यं धिष्ण्यम् (उणादि) 2 / 11 / / शीले तूष्णीक: 4 / 3 / 56 / शिखा (उणादि) 2 / 25 / / शी वा 2 / 1 / 13 / शिखादिभ्यः वा 4 / 2 / 134 / शुक्रात् घन् 3 / 1 / 23 / शिर्छः आणक: (उणादि) 2 / 12 / / शुङ्ग-च्छगल-विकर्णात् भारद्वाज-वात्स्यशि तुक् 6 / 4 / 15 / आत्रेयेषु 2 / 4 / 47 / शिति अपिति 5 / 3 / 24 / शुट च (उणादि) 3 / 112 / 'शिति आयादयः 1 / 1 / 50 / शुण्डिकादिभ्यः अण् 3 / 3 / 48 / शिदनेकाल् सर्वस्य 1 / 1 / 12 / शुनः शेफ-पुच्छ-लाङ्गलेषु नाम्नि शिन्डितो: 5 / 1 / 16 / 5 / 2 / 16 / शिरः करन् (उणादि) 3 / 24 / शुन्-अशुचौ पुरः (उणादि) 1 / 38 / शिरसः शीर्षन् वा 5 / 2 / 63 / शुनी-स्तनात् धेटः 1 / 2 / 12 / शिरीषादयः (उणादि) 3 / 60 / शुभ्रादिभ्यः 2 / 4 / 53 / शिलाया ढः च 4 / 3 / 80 / शुषः कः 6 / 3 / 10 / शिल्पम् 3 / 4 / 57 / शूर्पात् अञ् 4 / 1 / 26 / शिवादयः (उणादि) 2 / 12 / शूलात् पाके 4 / 4 / 46 / / शिवादिभ्यः अण् 2 / 4 / 41 / शूल-उखात् यत् 3 / 1 / 15 /