________________ 178] चान्द्रव्याकरणम् [शकल --श शकल-कर्दमाद् वा 3 / 1 / 3 / शप-श्यनः 5 / 4 / 35 / शकलादिभ्यः गोत्रात् 3 / 2 / 21 / शब्द-दर्दरं करोति 3 / 4 / 31 / / शकादिभ्यः 5 / 4 / 135 // शब्दादीन् करोति 1 / 1 / 36 / . शकादिभ्यः अटन् (उणादि) 2 / 32 / शब्दान्तर्गतौ वा 1 / 4 / 130 / शकि-भूभ्यां उन्ति-अन्तिचौ (उणादि) शमादिभ्यः अथः (उणादि) 2 / 53 / 171 / शमाम् अष्टानां श्ये दीर्घः 6 / 1 / 102 / शकि-शमेः नित् (उणादि) 3 / 47 / शमेः खः (उणादि) 2 / 23 / शके: उनः (उणादि) 281 / शमेः ढः (उणादि) 2 // 41 // शके: उनिः (उणादि) 176 / शमेः ठः (उणादि) 2 // 35 // शके: उन्तः (उणादि) 2 / 42 / शम्याः प्लञ् 3 / 3 / 116 / शक्ति-यष्टयोः टीका 3 / 4 / 60 / शरः खयः 6 / 4 / 144 / / शक्ति-वयः-शीलेषु 1 / 2 / 87 / शरदः श्राद्धे 3 / 2 / 72 / शक्तौ हस्ति-कपाटात् 1 / 2 / 40 / शरदादिभ्यः असंख्यार्थे 4 / 4 / 10 / शक्ये क्षि-ज्योः अय् 5 / 1 / 76 / शरद्-दरद्-दृषदः (उणादि) 378 / शङ्क-आदयः (उणादि) 1 / 21 / शरद्वत्-शुनक-दर्भात् भार्गव-वात्स्यशन्-शत्-शतेः डिनिः वा 4 / 2 / 42 / आग्रायणेषु 2 / 4 / 38 / शण्डिकादिभ्यः ज्यः 3 / 3 / 60 / शरादिभ्यः 3 / 3 / 114 / शत-रुद्रात् घः च 3 / 1 / 25 / शरादीनाम् 5 / 2 / 134 / शत-षष्टेः पथः ष्ठन् 3 / 1 / 36 / शरः अचि रात् , 6 / 4 / 146 / शतात् केवलात् ठन्-यतौ अतस्मिन् शर्करादिभ्यः अण् 4 / 3 / 4 / / 4 / 1 / 31 / शरे 6 / 4 / 22 / शतादिमास-अर्धमास-संवत्सरात् शल: इगुपान्तात् अदृशः अनिट: क्सः 4 / 2 / 53 / 1 / 1 / 65 // शताद् वा 4 / 1 / 44 / शलालुनः वा 3 / 4 / 56 / / शति-शद्-दशान्तात् अधिका अस्मिन् शलि-मण्डे: ऊकञ् (उणादि) 2 / 21 / ___ शतसहस्र ड: 4 / 2 / 50 / शवि-कमः कलन् (उणादि) 3 // 45 // शतृ 1 / 2 / 84 / शवि-कमिभ्यां दन् (उणादि) 2 / 60 / शदे: शिति 1 / 4 / 115 / शशि-रपयोः अतः इत् च (उणादि) शदेः अगतौ तः 6 / 1154 / 1 / 14 / शपः शपथे 1 / 4 / 63 / शः छः अमि 6 / 4 / 157 / शपि दंश-सजेः च 5 / 3 / 28 / श-ष-सर् प्रत्याहारसूत्र (शिवसूत्र 12)