________________ 174] चानव्याकरणम् [वयसि -- बात वयसि दन्तस्य दतृ 4 / 4 / 130 / वस्न-क्रय-विक्रयात् ठन् 3 / 4 / 11 / वयसि पूरणात् 4 / 2 / 127 / वस्-मसोर्लोपः 1 / 4 / 26 / / वयसि अचरमे 2 / 3 / 22 / वसि-अगिभ्यां णित् (उणादि) 3 / 102 / वयो यः 5 / 1 / 43 / वह-लादिभ्यः इत्र-उत्रौ (उणादि) 3 / 42 / वर्गान्तात् 3 / 3 / 31 / वह-अभ्रात् लिहः 1 / 2 / 16 / वर्णका तान्तवे 6 / 1 / 81 / / वहि-पंसेर्दीर्घश्च (उणादि) 16 / वर्ण-दृढादिभ्यः ष्यञ् च 4 / 1 / 140 / वहि-वसिभ्यां चतिः (उणादि) 1187 / वर्णात् ब्रह्मचारिणि 4 / 2 / 131 / / वहे 5 / 2 / 144 / वर्णी वुक् 3 / 2 / 12 / वहेः अनियन्तृके 2 / 1 / 48 / वर्तका शकुनौ 6 / 1 / 74 / वहे: तुः इट् च 3 / 3 / 100 / वर्तमाने लट् 1 / 2 / 2 / वह्यं करणम् 1 / 1 / 113 / वर्षस्याभाविनि 6 / 1 / 27 / वा आकाङक्षायाम् 1 / 2 / 80 / वर्षा-दृन्-पुनर्-कारात् भुवः 5 / 3 / 60 / वाकिनादीनां कुक् च 2 / 4 / 61 / वर्षा-प्रावृड्भ्यां ठक्-एण्यौ 3 / 2 / 81 / वा क्यषः 1 / 4 / 142 / वर्षात् लुक् च 4 / 1 / 103 / वाक्याऽचां प्लुतः अन्त्यः 6 / 3 / 115 / वलादेः इट् 5 / 4 / 6 / / वाक्यादेः आमन्त्रितस्य असूया-संमत्योः वलि-पटे: आकः (उणादि) 2 / 15 / वलि-फले: गुक् च (उणादि) 1 / 11 / / वा गोमये 3 / 2 / 44 / / वले 5 / 2 / 135 / वाग्-दिक्-पश्यद्भयः / युक्ति-दण्ड-हरेषु वशं गतः 3 / 4 / 85 // 5 / 2 / 14 / वशः तिङशिति अपिति 5 / 1 / 18 / वाचंयमो व्रते 1 / 2 / 24 / वशि 5 / 4 / 128 / वाचः संदेशे 4 / 4 / 18 / वशि-वणिभ्याम् इजिक् (उणादि) 3 / 73 / वा चित्ते 5 / 3 / 65 // वशेः कनसिः (उणादि) 365 // वाचः ग्मिनिः 4 / 2 / 145 / वशेः कित् (उणादि) 3 / 28 / वा ज़-भ्रम-त्रसाम् 5 / 3 / 120 / वशेः सुट् च (उणादि) 3 / 105 / वात-पित्त-श्लेष्म-संनिपातात् शमन-कोपने वस-क्षुधः इट् 5 / 4 / 112 / 4 / 150 / वसु-स्रंसु-ध्वंसां सः 6 / 3 / 104 / वातमज-शर्धजह-इरंमद-परंतप-द्विषंतपवसेणित् वा (उणादि) 1 / 23 / / __ भगंदर-पुरंदराः 1 / 2 / 20 / वसोर्व उत् 5 / 3 / 128 / वात-अतीसार-पिशाचानां कुक् च वस्तेढञ् 4 / 3 / 76 / 4 / 2 / 126 / 6 / 3 / 4 /