________________ लुग -- वयसा] चान्द्रव्याकरणम् [173 लुग् वा * दुह-दिह-लिह-गुहाम् तङि ल्यपि च 5 / 1 / 45 / . ___ दन्त्ये 6 / 1 / 101 / ल्यपि लघोः 5 / 3 / 70 / लुङ 1 / 276 / ल्युट् 1 / 3 / 67 / लुङि 5 / 4 / 10 / लुङि ते चिण् 1 / 4 / 105 / वंशादिभ्यः हरति वहति आवहति लुङि वा 5 / 3 / 114 / __ भारात् 4 / 1 / 72 / लुङि सिच्. 1 / 1 / 60 / वचि-स्वपि-यजादीनां लिटि अपिति लुङि अचः 1 / 4 / 101 / 5 / 1 / 14 / लुङ-लङ-लुङक्षु अड् अमाङयोगे वचः अशब्दाख्यायाम् 6 / 1 / 65 // 5 / 3 / 82 / वञ्चि-लुञ्चि -थ-फो वा 5 / 3 / 54 / लुङ-सन्-अच्-घन -अप्सु घस्ल: 5 / 4 / 87 / वञ्चेर्गतौ 6 / 1 / 12 / लुट: आद्यानां डा-रौ-रसः 1 / 4 / 18 / वटकात् इनि: 4 / 2 / 86 / लुटि क्लपः 1 / 4 / 145 / वतण्डात् 2 / 4 / 26 / लुप-सद-चर-ग-जप-जभ-दह-दशः गात् वतोः 4 / 1 / 34 / . 1 / 1 / 43 / वतोः इथट् 4 / 2 / 61 / लुभः आकुले 5 / 4 / 114 / वतौ च इदम्-किमोः ईश्-की लेखे // 2 // 56 / 5 / 2 / 107 / लोक-सर्वलोकात् 4 / 1158 / वत्स-शाल-नक्षत्रेभ्यः बहुलम् 3 / 3 / 7 / लोकस्य पृणे 5 / 2 / 78 / वत्स-अंशात् स्नेह-बलिनोः 4 / 2 / 101 / लोकान्तात् 3 / 3 / 28 / वत्स-उक्ष-अश्व-ऋषभाणां तनुत्वे 4 / 3 / 74 / लोट् 1 / 3 / 122 // वद: सुपः क्यप् च 1 / 1 / 117 / लोट: ए: उ: 1 / 4 / 20 / वद-व्रज-ल-रः . 6 / 1 / / लोटः कृलोट् 1 / 1 / 58 / वदेर्वा (उणादि) 3 / 32 / लोपः अचि किङति चातः 5 / 3 / 75 / वधः घातः 1 / 3 / 64 / लोपः अतः 5 / 3 / 63 / वनं पुरगा-मिश्रका-सिध्रका-शारिकालोमादि-पामादिभ्यः श-नौ 4 / 2 / 104 / __ अग्रे-कोटरात् 6 / 4 / 103 / लोम्नः अपत्येषु 2 / 4 / 5 / वन-गिर्योः कोटर-अञ्जनादीनाम् लो लुक् 6 / 1 / 50 / 5 / 2 / 132 // लोहितादिभ्यः शकलान्तेभ्यः 2 / 3 / 20 / वपि-वजि-वृधि-इन्दिभ्यः रन् (उणादि) लोहितात् मणौ 4 / 4 / 13 / 3 / 13 / ल्यपि 5 / 4 / 86 / वयसा च तुल्ये 3 / 4 / 10 /