________________ 170] चान्द्रव्याकरणम् [यतः--योऽचि यतः अपतेर्वा 5 / 4 / 140 / यासुट् अतङः कित् 1 / 4 / 33 / यत्क्रिया क्रियाचिह्नम् 2 / 1 / 60 / यि किङति अयङ 6 / 2 / 74 / यत्-तद्-एकात् द्वाभ्यां निर्धारणे डतरच् यि परे अव-आवौ 5 / 1176 / 4 / 3 / 75 / यि लोपः 5 / 3 / 111 / / यत्-तद्-एतदः वतुप् 4 / 2 / 43 / य्-इवर्णयोः दीधी-वेव्योः 6 / 2 / 104 / यति अवर्णे 5 / 2 / 62 / / यु-कु-सूनां किञ्च (उणादि) 2 / 84 / यथा-कथाचात् णः 4 / 1 / 116 / युजि-रुजि-तिजेः कुश्च (उणादि) यथा न तुल्ये 2 / 2 / 3 / 2 / 105 // यथामुख-सम्मुखं दृश्यते अस्मिन् युजेः असमासे 5 / 4 / 26 / 4 / 2 / 10 / युट् च (उणादि) 3 / 114 / यथास्वे यथायथम् 6 / 3 / 11 / युधि-हि-इन्धि-जनि-श्या-धूभ्यः मक् यद्-यदि-यदा-जातुषु लिङ 1 / 3 / 113 / (उणादि) 2 / 103 / यमः सं-वि-उपाञ्च 1 / 3 / 53 / युव-अल्पयोः कन् वा 4 / 3 / 52 / यमः सूचने 5 / 3 / 47 / युवोः अन-अको असः 5 / 4 / 1 / यम-रम-नम-आतां सक् च 5 / 4 / 170 / युष्मद्-अस्मदोः कञ् युष्माकय-र-ण-गात् मः 5 / 4 / 134 / अस्माकौ च 3 / 2 / 62 / य-र-लात् भः 5 / 4 / 133 / युष्मद्-अस्मदोः षष्ठी-चतुर्थी-द्वितीयान्तयरः अमि अम् वा 6 / 4 / 140 / योः वाम्-नौ वा 6 / 3 / 16 / यवनात् लिप्याम् 2 / 3 / 54 / युष्मद्-अस्मदोः अनादेशे 5 / 4 / 54 / यव-यवक-षष्टिकात् यत् 4 / 2 / 3 / युष्मद्-अस्मद्भयां ङसः अश् 2 / 1 / 26 / यवात् दोषे 2 / 3 / 53 / युष्मदि मध्यमत्रयम् 1 / 4 / 146 / यसः 1 / 1 / 86 / युस् 4 / 2 / 151 // यस्कादिभ्यः 2 / 4 / 110 / यूकाआदयः (उणादि) 2 / 2 / यस्य 5 / 3 / 146 / यूथआदयः (उणादि) 2056 / यस्य हलः 5 / 3 / 65 / यूनः तिः 2 / 3 / 81 // याड् आपः 6 / 2 / 56 / / ई-ऊभ्याम् चाट् 6 / 2 / 53 / यानात् 3 / 3 / 87 / _यूय-वयो जसि 5 / 4 / 56 / यानादेः अञ् 3 / 3 / 86 / ये वा 5 // 3 // 41 // यालोपो दरिद्रः (उणादि) 1146 / योगात् यच्च 4 / 1 / 121 // यावद् इयत्त्वे 2 / 2 / 4 / योचि 5 / 4 / 56 / यावादिभ्यः कन् 4 / 4 / 12 / योऽचि वा अनुनि 6 / 4 / 26 /