________________ 168 चन्द्रिव्याकरणम् [मदि-मिः मदि-अङ्गि-वाशि-मथि-चतिभ्यः उरच् महाराज-प्रोष्ठपदात् ठत्र 3 / 1 / 32 / . (उणादि) 3 / 1 / महेन्द्राद् वा 3 / 1 / 27 / मदि-अशि-वसे: सरन् (उणादि) मांसस्य पचि घञ्-ल्युटोर्लोपः 5 / 2 / 87 / 3 / 18 / माङि लुङ 1 / 3 / 4 / / मद्र-भद्रात् वपने 4 / 4 / 51 / मा-छा-ससि-सूभ्यः यः (उणादि) मधुक-मरीचयोः अण् 41161 2 / 106 / मधोः ब्राह्मणे 2 / 4 / 25 / माणव-चरकात् ख 4 / 1 / 15 / मध्यस्य दिने 5 / 2 / 83 / मात-मातृक-मातृषु वा 5 / 1 / 13 / मध्य-आदिभ्यां मः 3 / 2 / 12 / / मातर-पितरौ चार्थे 5 / 2 / 20 / / मध्यात् मण-मीयौ च 3 / 3 / 33 / मातुः उत् संख्या-सं-भद्रादेः 2 / 4 / 45 / मनः 1 / 2 / 60 / मातु: मातच पुत्रे श्लाघ्ये 6 / 2 / 47 / मनः 2 / 3 / 13 / मातुल-उपाध्यायात् वा 2 / 3 / 50 / . मनसः नाम्नि 5 / 2 / 6 / मातृ-पितृभ्यां स्वसा . 6 / 4 / 71 / मनि-पचि-मचां नाम्नि 5 / 3 / 123 / माथान्त-पदवी-अनुपद-आक्रन्दं धावति मनेः उत् च (उणादि) 1 / 54 / 3 / 4 / 34 / मनोः औ वा 2 / 3 / 43 / मात् उपान्तात् च मतोर्वः 6 / 3 / 35 // मनोः जातो यत् सुक् च 2 / 4 / 64 / मात् वर्मणः अपत्ये 5 / 3 / 171 / . मन्थ-ओदन-सक्तु-बिन्दु-वज्र-भार-हार- माने कंश्च 4 / 2 / 64 / / वीवध-गाहेषु 5 / 270 / माने मात्रट 4 / 2 / 38 / मन्द-अल्पाच्च मेधायाः 4 / 4 / 10 / माने वयः 3 / 3 / 125 // मन्-मात् नाम्नि 4 / 2 / 133 / .. मान्तस्य युव-आवौ द्विवचने 5 / 4 / 58 / मन्याप्ये कुत्सायाम् अनावादौ वा माला-इल्वल-पलवल-चषाल-शिथिल 2 / 1 / 80 / शुक्ल-तण्डुलाः' (उणादि) 3 / 53 / मयः उञोऽचि वः 6 / 4 / 16 / माशब्दात् इत्यादिभ्यः 3 / 4 / 48 / मयट 3 / 3 / 53 / मासात् वयसि यत्-खौ 4 / 1 / 16 / मयट् अभक्ष-आच्छादने 3 / 3 / 106 / मा-स्था-सा-गा-पिब-हाग-दा-धां हलि 5 / 3 / 77 / मसेर् ऊरन् (उणादि) 3 / 30 / मित-नखात् 1 / 2 / 18 / मस्जः अन्त्यात् पूर्वः 5 / 4 / 13 / .. मितां हस्वः 6 / 1 / 56 / महतश्च ठञ् 4 / 1 / 12 / मिथ्यायोगे कृञः अभ्यासे 1 / 4 / 123 / महाकुलाद् अत्र -खौ 2 / 4 / 75 / मित् अचः अन्त्यात् परः . 1 / 1 / 14 / महानाम्न्यादीनाम् 4 / 1 / 107 / मिदेः एत् 6 / 1 / 106 /