________________ 160] चानव्याकरणम् [पतिवत्नी-पादिभ्यः पतिवत्नी भार्यायाम् 2 / 3 / 29 / पर-अवरात् तस् वा 4 / 3 / 37 / / पते: अङ्गच् (उणादि) 2 / 27 / पर-अवर-अधम-उत्तमादेः 3 / 2 / 67 / पत्यादिषु अहआदीनाम् 6 / 3 / 102 / परिक्रियश्चतुर्थी च 2 / 1 / 64 / पत्युः समासे 6 / 2 / 51 / परिखायाः ढा 4 / 1 / 22 / पत्युः अनश्वाद्यादेः 2 / 4 / 3 / परिघ-उद्घ-निघाः 1 / 3 / 67 / पत्युन ऊढायाम् 2 / 3 / 30 / परिपन्थं तिष्ठति च 3 / 4 / 33 / पथः ष्ठन् 4 / 1 / 87 / परिमाणात् पचः 1 / 2 / 17 / पथकः 4 / 2 / 66 / परिमाणात् लुकि असंख्याकाल-विस्तापथि-मथिभ्याम् इनिः (उणादि) 3 / 84 / आचित-कम्बल्यात् 2 / 3 / 24 / / पथि-मथि-ऋभुक्षाम् आत् 5 / 4 / 38 / परिमुखादिभ्यः 3 / 3 / 23 / पथो वा 4 / 4 / 56 / . परिवृतो रथः 3 / 1 / 10 / पथः असंख्यात्। 2 / 2 / 75 / परि-वि-अवात् क्रियः 1 / 4 / 52 / .. पथि-अतिथि-वसति-स्वपतेः ढञ् परिव्रजेः षश्च पदान्ते (उणादि) 3 / 71 / 3 / 4 / 105 / परिषदो ण्यः 3 / 4 / 42 / पथि-अर्थ-न्यायात् च अनेपते 3 / 4 / 14 / परिषदो ण्यश्च 3 / 4 / 103 / पथि-आराधनयोः 1 / 4 / 68 / परुत्-परारि-चिरात् त्नः 3 / 278 / पदम् अस्मिन् दृश्यम् 3 / 4 / 86 / परेः 6 / 4 / 63 / पदस्य वा 6 / 1 / 20 / परेः स-चरो यः 11382 / पदादी वा 6 / 4 / 152 / परेघ-अङ्क-योगेषु 6 / 3 / 45 / पदान्त-प्रतिकण्ठ-अर्थ-ललामम् गृह्णाति / / परे ते 1 / 3 / 17 / परेर्भुवः अवज्ञाने 1 / 3 / 44 / पदान्तस्य वा 5 / 1 / 73 / पद-अस्वैरि-पक्ष्य-बाह्यासु ग्रहः 1 / 1 / 126 / परेर्मुख-पार्वात् / 3 / 4 / 28 / पनि-मनि-रभि-चमि-अति-वेति-युवः असच् S परेर्मेशश्च 1 / 4 / 134 / (उणादि) 3 / 65 / परेर्यज्ञे 1 / 3 / 37 / परेवर्जने वाक्ये वा 6 / 3 / 2 / पन्थक: 3 / 3 / 3 / परेर्वा 5 / 1 / 48 // पद्-निश्-मास्-हृद्-यूषन्-दोषन् शसादौ / वा 5 / 4 / 77 / परोक्षे लिट् 1 / 2 / 81 / पय:-पुरसो धानः (उणादि) 3 / 67 / पयसो यत् 3 / 3 / 122 / / परोवर-परंपर-पुत्रपौत्रम् अनुभवति परदारादीन् गच्छति 3 / 4 / 45 / 4 / 2 / 16 / परमेष्ठी (उणादि) 3 / 88 / पर्जन्यः (उणादि) 2 / 117 / परस्य अपुंसि आम् 6 / 3 / 10 / / पादिभ्यः ष्ठन् 3 / 4 / / 3 / 4 / 35 // 17 परा-उपात 114185 /