________________ निसः --पति] .. - चान्द्रव्याकरणम् निसः च श्रेयसः 4 / 4 / 66 / नर्ण च ११३।५०।निसः तपि सकृत् 6 / 4 / 88 / नेविंशः .114 // 51 // निसः गते 3 / 2 / 14 / नैकाचः 4 / 2 / 120 / निहनवे ज्ञः 1 / 4 / 10 / नैकाचः 5 / 3 / 165 / नीक वञ्च-स्रंसु-ध्वंसु-भ्रंशु-कस-पत-पद- . नैतो द्वित्वे 6 / 3 / 132 / . स्कन्दाम् 6 / 2 / 133 / नोऽणादौ 5 / 3 / 136 / नी-दलिभ्याम् मिः (उणादि) 1164 / नोपान्तवतः 2 / 3 / 12 / नील-पीतात् अन्-कनौ 3 / 1 / 4 / / नो मट 4 / 2 / 55 नीलात् प्राणि-ओषध्योः 2 / 3 / 36 / नौ-तुला-विषैः तार्य-सम्मित-वध्येषु नीवारा: 1 / 3 / 22 / ... 3 / 4 / 61 नुक् च अनेकहल: 6 / 2 / 124 / न्यग्रोधस्य केवलस्य / 6 / 1 / 16 / नुट् च (उणादि) . 3 / 113 / न्यङक्वादयः 6 / 1184 / नु-प्रच्छः 114 / 57 / / न्यायो नये 1 / 3 / 28 / . नुमि इच्-आदेहल: 6 / 4 / 126 / नि-उदो ग्रहः 1 / 3 / 20 / नुम्-विसर्जनीय-शरव्यवाये 6 / 4 / 47 / नुर्वा 5 / 3 / 5 / पक्षस्य तिः 4 / 2 / 26 / नृ-तत्स्थयोवुन 3 / 2 / 46 / पक्षात् 2 / 3 / 66 / नृति-खनि-रजः शिल्पिनि वुन् 1 / 1 / 157 / पक्षि-मत्स्य-मृगान् हन्ति 3 / 4 / 32 / नृनाम्नि ठच्-घन्-इलचो वा 4 / 3 / 64 / पङ्गः श्वश्रूः 2 / 3 / 78 / पचेः अतः इत च (उणादि) 3 / 33 / नृनाम्नो वा 3 / 2 / 26 / नृहेतुभ्यो रूप्यः 3 / 3 / 52 / पचः वः 6 / 3 / 61 / नन् पे रो वा 6 / 4 / 5 / पञ्चत्-दशत् वर्गे वा 4 / 1 / 63 / नेः 1 / 3 / 54 / पञ्चम्यां त्वरायाम् 113 / 144 / नेः सत्-पतः 11376 / पञ्चम्यां परस्य 1 / 1 / / नेः सय-सितयोः 3 / 4 / 5 / / पञ्चम्याः स्तोकादिभ्यः 5 / 2 / 2 / नेः स्नातः 6 / 4 / 77 / पञ्च-विश्वात् जनान्तात् तदर्थात् 4 / 1 / 10 / नेटि 6 / 1 / 5 / पटि-असि-वसि-त्रपि-हनि-मनि-इन्दि-कन्दिनेन्द्रस्य परस्य 6 / 1 / 32 / बन्धिभ्यः (उणादि) 1 / / नेः अञ्चेः (उणादि) 1 / 12 / पणः परिमाणे 1 / 3 / 57 / / नेः ईच् च (उणादि) 1156 / पण-पाद-मासात् यत् 4 / 1 / 43 / नेः गद-नद-पत-पद-दा-धा-मा-वा-दिह-वह पणि-पतेः आङ: (उणादि) 2 / 6 / शम-हन-या-सा-द्रा-प्सा-चि-वपिष पति-चन्दिभ्याम् आलञ (उणादि) 6 / 4 / 116 / 3 / 46 /