________________ 3 / 43 / 144] चान्द्रव्याकरणम् क्सिस्य -- गिरो क्सस्य अचि 6 / 1 / 100 / गद-मद-यमः अप्रादेः 1 / 1 / 106 / गमः 1 / 2 / 32 / खः 4 / 2 / / गमः (उणादि) 385 / खः पदान्ताच्च 2 / 4 / 73 / गम-जन--खन-घसां ले लोप: अपिति। खड् 112 // 34 // 5 / 3 / 16 / खन: डर-इकौ च 1 / 3 / 102 / गमादीनां क्वौ 5 / 3 / 46 / ख-फ-छ-ठ-थ-च-ट-तव् प्रत्याहारसूत्र / गमेः क्षान्तौ 1 / 4 / 56 / (शिवसूत्र 10) गमेः गन् (उणादि) 2 / 28 / खयि खरः 6 / 2 / 113 / गमेः डोः (उणादि) 162 / खरि 6 / 4 / 21 / गमो द्वे च (उणादि) 3170 / खरि चर् झलः 6 / 4 / 148 / गम्भीर-पञ्चजनात् ज्यः 3 / 3 / 21 / खरि लोपः 6 / 4 / 30 / / खजि-पिजादिभ्यः ऊर-ऊलचौ (उणादि) गम्भीरादयः (उणादि) 3 / 26 / . . गर्गादिभ्यः यञ् 2 / 4 / 24 / गर्तान्तात् छः 3 / 2 / 52 / खल-यव-माष-तिल-वृष-ब्रह्म-रथात् गर्दायां कथमि लिङ 1 / 3 / 10 / 4 / 17 / खलादिभ्यः इनिः 3 / 1157 / गये 3 / 4 / 36 / खारी-काकणीभ्य ईकन् 4 / 1 / 42 / गल्भ-क्लीब-होडेभ्यः ङित् 1 / 1 / 28 / गवाश्वादीनाम् 2 / 2 / 57 / खार्या वा 4 / 4 / 85 / / खिति ससंख्यस्य मुम् च 5 / 2 / 75 / गवि युक्ते 5 / 2 / 51 / गवि-युधेः स्थिरः 6 / 4 / 81 / खिति इच एकाचः अमः 5 / 2 / 4 / गव्यूतिः अध्वमाने 5 / 1 / 78 / खुर-खरात् णस् वा 4 / 4 / 112 / गः थकन् 1 / 1 / 158 / खेयम् 111 / 112 / गहादिम्यः 3 / 2158 / गः 1 / 2 / 44 / गाङः ईत् स्ये च 6 / 2 / 28 / गणिका-ब्राह्मण-माणव-वाडवाद् यञ् / गाङ लिटि 5 / 4 / 66 / 3 / 1150 / गाथि-विदथि-केशि-गणि-पणिनाम् गति-बोध-आहार-शब्दार्थ-अनाप्यानां 5 / 3 / 176 / प्रयोज्ये 2 / 1 / 44 / गान्धारि-शालवेयात् 2 / 4 / 67 / गत्यर्थात् कौटिल्ये एव 1 / 1 / 42 / गिरि-नदी-पौर्णमासी-आग्रहायणी-झयः गत्यर्थ-अनाप्यात् आधारे च 1 / 2 / 70 / 4 / 4 / 63 / गत्वरः 1 / 2 / 110 / गिरिनद्यादीनाम् 6 / 4 / 111 / गद-नद-पठ-स्वनः 1 / 3 / 55 / गिरो भन् (उणादि) 2 / 66 /