________________ चान्द्रव्याकरणम् काश्यप--कूलाद् ] [141 काश्यप-कौशिकाभ्याम् ऋषिभ्यां कल्पं कुणि-पीभ्यां कालन् (उणादि) च णिनिः 3 / 3 / 71 / 3150 / काश्यादिभ्यः किश्च 3 / 2 / 33 / कुण्डादयः (उणादि) 2 / 40 / कास्-अय-दय्-आसः 1 / 1153 / कुण्डिनाः 2 / 4 / 108 / कासू-गोणीभ्यां ष्ट रच् 4 / 3 / 73 / . कुतुपः 4 / 3 / 72 / किंकिल-अस्त्यर्थयोः लुट 1 / 3 / 112 / कुतः अतः इतः 4 / 3 / 8 / किञ्चिदूने कल्पप्-देश्य-देशीयरः कुप्य-आज्य-भिद्य-उद्धय-सिध्य 4 / 3 / 54 / युग्यानि. नाम्नि 1 / 1 / 127 / किम्-जराभ्यां -इणः (उणादि) 1 / 3 / कु-प्रादयः असुप्विधौ नित्यम् कम्-यद्-अन्याद् अनद्यतने हिल् वा 2 / 2 / 24 / 4 / 3 / 15 / कु-प्वोः )(क २७पौ 6 / 4 / 31 / किङ्किणीकादयः (उणादि) 2 / 16 / कुमदेकाचः 6 / 4 / 113 / कितः संशय-चिकित्सयो: 1 / 1 / 18 / कु-महद्भ्यां ब्राह्मणः 4 / 4 / 87 / किति च हनः 5 / 3 / 67 / कुम्बि-चिभ्याम् 1 / 3 / 88 / किति चापत्यादौ. अचामादेः कुम्भपद्यादयः 4 / 4 / 128 / 6 / 1 / 11 / कुरु-च्छुरोः 6 / 3 / 111 / किति तेषाम् 5 / 1 / 20 / कुरु-नादिभ्यो यः 2 / 4 / 101 / किमः कः 5 / 4 / 66 / कुरु-युगन्धरात् 3 / 2 / 45 / किमि लृट् च 1 / 3 / 110 / कुर्वादिभ्यो ण्यः 2 / 4 / 84 / किम्-ए-तिङ-असंख्यात् आमन्तौ कुलटाया वा 2 / 4 / 57 / . अद्रव्ये 4 / 3 / 46 / कुलत्थ-कोपान्तात् अण् 3 / 4 / 4 / किरादि-श्रन्थ-ग्रन्थ-सनाम् आप्ये कुलनाम्नः 2 / 3 / 83 / 1 / 4 / 100 / कुलात् ढकञ् च 2 / 4 / 72 / किरो लवने 5 / 1 / 138 / कुलालादिभ्यो वुज 3 / 3 / 84 / किल्बिषादयः (उणादि) 3 / 62 / कुलि जाद् वा 4 / 1 / 71 / किशरादिभ्यः ष्ठन् 3 / 4 / 55 / कुल्माषाद् अण् 4 / 2 / 88 / कीनाश-दाश-अङकुशाः (उणादि) कुवः कवन् (उणादि) 3 / 17 / 3 / 56 / कुश-अग्रात् छः 4 / 3 / 82 / कुजादिभ्यः फ्यञ् 2 / 4 / 33 / कुषि-रजः आप्ये 1 / 1 / 61 / कुटादीनाम् अणिति 6 / 2 / 13 / कुषेः सिक् (उणादि) 1 / 66 / कुटी-शमी-शुण्डाभ्यो रः 4 / 3 / 71 / / कु-होः चुः 6 / 2 / 116 / कुटे: क्मलच् (उणादि) 3 / 48 / कूलाद् उदो रुजि-वहः 1 / 2 / 15 /