________________ चान्द्रव्याकरणम् 140] [कमः -- कालेभ्यो. कमः अठच् च (उणादि) 2 / 36 / कवङ च उष्णे 5 / 2 / 125 / कमः णिङ 111 / 46 / कवचिनश्च ठक् 3 / 1 / 47 / कमः अतः उच्च (उपादि) 3 / 23 / कवर-मणि-विष-शरात् 2 / 3 / 64 / कम्बोजादिभ्यो लुक् 2 / 4 / 104 / कश्च दः 4 / 3 / 57 / करणे 2 / 1 / 63 / कषेः छश्च (उणादि). 1144 / कर्क-लोहितात् ईकक् 4 / 3 / 87 / कष्ट-कक्ष-सत्र-गहनाय पापे क्रमणे कर्णात् 3 / 3 / 35 // . 1 / 1 / 32 / कर्णादीनां मूले जाहच् 4 / 2 / 25 / कस्कादयः 6 / 4 / 45 / कर्णे चिहनस्य अविष्ट-अष्ट-पञ्च-भिन्न कस्य इत् 3 / 1 / 22 / -छिन्न-च्छिद्र-स्रुव-स्वस्तिकस्य कांस्य-पारशवौ 3 / 3 / 126 / . 5 / 2 / 136 / काक्ष-पथोः 5 / 2 / 122 / / कर्तरि चारभ्भे 1 / 2 / 68 / / काण्ड-अण्डात् ईरच् 4 / 2 / 115 / .. कर्तरि ण्वुल-तृच्-अचः 1 / 1 / 136 / काण्डात् अक्षेत्रे 2 / 3 / 25 / कर्तरि तृतीया 2 / 1 / 62 / कादेः बहुलम् 5 / 3 / 146 / कर्तरि शप् 1 / 182 / कान् कानि 6 / 4 / 4 / कर्तुः उपमानात् 1 / 2 / 58 / कारकं बहुलम् 2 / 2 / 16 / कर्तुः विप् 1 / 1 / 27 / कारक-असंख्यात् ओश्च सुपि असुधियः कर्तृस्थामूर्ताऽऽप्यात् 1 / 4 / 83 / 5 / 3 / / कर्तृ-आप्याभ्यां च भू-कञः 113 / 104 / कारूणाम् 2 / 2 / 56 / . कर्मणः उकञ् 4 / 1 / 122 / कारे अस्तु-सत्य-अगदस्य 5 / 2 / 77 / कर्मणि घटते अठच् 4 / 2 / 36 / . कार्षापण-सहस्र-सुवर्ण-शतमानात् वा कर्मणः अशीले 5 / 3 / 170 / 4 / 1 / 3 / कर्मन्द-कृशाश्वाभ्यां भिक्षु-नटसूत्रम् कार्षापणात् 4 / 1 / 27 / इनि: 3 / 3 / 77 / काल-समय-वेलासु लिङ यदि 1 / 3 / 127 / कर्म-वेशात् यत् 4 / 1 / 116 / काल-हेतु-फलात् नाम्नि 4 / 2 / 86 / कर्माध्ययने वृत्तम् 3 / 4 / 64 / कालात् 4 / 1 / 12 / कलापिनः अण् 3 / 375 / कालाक् 4 / 4 / 15 / कलापि-वैशम्पायनशिष्येभ्यः 3 / 3 / 73 / कालात् कार्यं च भववत् 4 / 1 / 114 / कलापि-अश्वत्थ-यवबुसात् वुन् 3 / 3 / 14 / कालाद् देयम् ऋणम् 3 / 3 / 13 / कलाप्यादीनाम् 5 / 3 / 140 / कालात् यत् 4 / 1 / 125 / कल्पे 3 / 3 / 80 / कालेभ्यः 3 / 2 / 71 / कल्याण्यादीनाम् इनङ 2 / 4 / 56 / / कालेभ्यो भववत् 3 / 1 / 31 /