________________ धातु० 308 गाधू-३६३ ऋजि] चान्द्रव्याकरणम् [111 308 गाई-प्रतिष्ठायाम् / (4) 337 रेक शङ्कायाम् / (80) 306 बाधृ विलोडने / (5) 338 सेकृ स्रक श्रकृ श्लक गत्यर्थाः 310 दध धारणे / (8) (81, 82) 311 स्कुदि आप्रवणे / (6) 336 शक शङ्कायाम् / (86) 312 श्विदि श्वेत्ये / (10) 340 अकि लक्षणे / (87) 313 वदि अभिवादने / (11) 341 वकि कौटिल्ये / (88) 314 भदि कल्याणे / (12) 342 मकि मण्डने / (86) 315 मदि जाड्ये / (13) 343 कक लौल्ये / (60) 316 स्पदि किञ्चिच्चलने / (14) 344 कुक वृक आदाने / (61, 62) 317 क्लिदि परिदेवने / (15) / 345 चक तृप्तौ / (63) 318 मुद हर्षे / (16) 346 ककि श्वकि त्रकि ढौक त्रौकृ ष्वस्क 316 दद दाने / (17) वस्क मस्क टिक टीकृ रघि लघि 320 ष्वद स्वाद स्वर्द आस्वादने / गत्यर्थाः / (64, 66-104, (18, 28, 16) 107, 108) 321 उर्द माने / (20) 347 अघि वघि गत्याक्षेपे / 322 कुर्द खुर्द गुर्द क्रीडायाम् / (106, 110) . (21, 23) 348 मघि कैतवे च / (112) 323 षूद क्षरणे / (25) 346 राघू लाघु सामर्थ्य / (113,114) 324 ह्राद शब्दे / (26) 350 द्रा आयासे च / (117) 325 ल्हादी सुखे च / (27) 351 श्लाघृ कत्थने / (118) 326 पर्द कुत्सिते शब्दे / (26) 352 वर्च दीप्तौ / (175) 327 यती प्रयत्ने / (30) 353 लोच दर्शने / (177). 328 युतृ जुतृ भाषणे / (31, 32) 354 षच सेचने / (176) 326 नार्थ नाथ विथू वेथू याचने / / 355 शच श्वचि गतौ / (180) (6, 7, 33, 34) 356 कच बन्धने / (181) 330 श्रथि शैथिल्ये / (35) 357 कचि दीप्तौ / (182) 331 ग्रथ कौटिल्ये / (36) 358 मचि धारणे / (186) . 332 कत्य श्लाघायाम् / (37) 356 मच मुचि कल्कने / (184,185) 333 शीक सेचने / (75) 360 पचि व्यक्तीकरणे / (187) 334 लोक दर्शने / (76) 361 ष्टुच प्रसादे / (188) 335 श्लोक संघाते / (77) 362 ईज ऋज गतौ / (166, 186) 336 द्रेक ब्रेक वृद्धौ / (78, 76) 363 ऋजि भृजी भर्जने / (160, 161)