________________ . 70] चान्द्रव्याकरणम् [अ० 6, पा० 3, सू० 16-64 . 16 युष्मद्-अस्मदोः षष्ठी-चतुर्थी- 36 अष्ठीवत्-चक्रीवत्-कक्षीवत्-उदन्वत्द्वितीयान्तयोः वाम्-नौ वा। रुमण्वत्-चर्मण्वती। पा०८।१।२०,२६ भा०। पा०८।२।१२,१३॥ 17 बहुवचनस्य वस्-नसौ। पा०८११२१॥ 40 राजन्वान् सौराष्ये / पा०८।२॥१४॥ 18 एकवचनस्य ते-मे / पा०८११२२॥ 41 कृपो रो लोऽकृपणादीनाम् / 16 त्वा-मौ द्वितीयायाः। पा०८।१।२३। पा०८।२।१८+भा०। 20 अन्वादेशे पा०८।१।२६ वा०१।। 42 प्रादीनाम् अयतौ / पा०८।२।१६। 21 सपूर्वात् प्रथमान्तात् वा।। 43 ग्रो यङि / पा०८।२।२०। पा०८।१।२६। है 44 अचि वा / पा०८।२।२१। 45 परेः घ-अङ्क-योगेषु / 22 न च-वा-ह-अह-एबयोगे। पा०८।२।२२+भा०। पा०८।१।२४। 46 कपिरिकादीनाम् / 23 दृश्यर्थे अनालोचने / पा०८।१।२५॥ पा०८।२।१८ भा०। 24 आमन्त्रितं पूर्वम् असद्वत् / 47 डः।। पा०८।१।७२॥ 48 सुपः प्रकृतेर्नो लोपः / पा०८।२।७। 25 न सामान्यवचनमेकार्थे / 46 न संबुद्धौ / पा०८।२।। पा०८।११७४ भा०। 50 नपुंसके वा / पा०८।२।८ वा०२। 51 सुपि वलि तद्वत् / पा०१।४।१७,१८। 26 बहुत्वे वा / पा०८।१।७४। . 52 संयोगस्य पदस्य / पा०८॥२॥२३॥ 27 पूर्वत्र असिद्धम् / पा०८।२।१। 53 रात् सः। पा०८।२।२४। 28 सुपि. न लोपः / पा०८।२।२। 54 धि सङि / पा०८।२।२५,२२ वा०१॥ 26 न नि मुः। पा०८।२।३। 30 सिज्लोपः एकादेशे / पा०८।२।६।। 55 झलः झलि / पा०८।२।२६। 56 हस्वात् / पा०८।२।२७। वा० 5 / 57 इटः ईटि / पा०८२।२८। 31 ष-ठनिक्तादेशः। पा०८।२।६ वा०७। 58 स्-कोः संयोगाद्योः अन्ते च / 32 प्लुतस्तुकि / पा०८।२।६ वा० 11 // पा०८।२।२६। 33 धुटि प्रचुः / पा०८।२।६ वा०१२। 56 चोः कुः। पा०८॥२॥३०॥ 34 द्वित्वे परसवर्णः। पा०८।२। 6 60 क्विनः। पा०८।२।६२॥ वा०१४। 61 नग वा / पा०८।२।६३। 35 मात उपान्ताच मतोर्वः।पा०८।२।। 62 हः ढः। पा०८॥२॥३१॥ 36 झयः / पा०८।२।१०। 63 दादेर्धातोः घः / पा०८।२।३२॥ 37 नाम्नि / पा०८॥२॥११॥ 64 वा द्रुह-मुह-स्नुह-स्निहाम् / 38 न यवादिभ्यः / पा०८।२।। पा०८।२॥३३॥