________________ 600 जीतकल्प सभाष्य ऐसा कहूंगा। उसने वैसा ही कहा। माणिभद्र आदि साथियों को भार से आक्रांत पात्र को देखकर शंका हो गई। उन्होंने कहा 'हम आपका पात्र देखना चाहते हैं।' साधु ने पात्र नहीं दिखाया, तब उन्होंने बलपूर्वक साधु का पात्र देख लिया। तब कोपारुण नेत्र से उन्होंने मोदक रक्षक पुरुष से पूछा-'तुमने इस साधु को सारे मोदक कैसे दिए?' वह भय से कांपता हुआ बोला-'मैंने इनको मोदक नहीं दिए।' यह सुनकर माणिभद्र आदि सभी साथी साधु से बोले—'तुम चोर हो तथा साधु-वेश की विडम्बना करने वाले हो। तुम्हारा मोक्ष कहां है' ऐसा कहकर उन्होंने साधु का वस्त्र खींचा। फिर सारे पात्र, रजोहरण आदि ग्रहण करके उसको गृहस्थ बनाकर 'पच्छाकड़' बना दिया। वे सब साधु को राजकुल में ले गए और धर्माधिकारी को सारी बात बताई। उन्होंने साधु को सारी बात पूछी किन्तु लज्जा के कारण वह कुछ भी कहने में समर्थ नहीं हो सका। तब उन न्याय करने वाले अधिकारियों ने चिंतन किया 'यह निश्चित ही चोर है लेकिन यह साधु वेशधारी है अत: उसे जीवित छोड़कर देश निकाला दे दिया।" 40. दूती दोष : धनदत्त कथा विस्तीर्ण ग्राम के पास गोकुल नामक गांव था। वहां धनदत्त नामक कौटुम्बिक था। उसकी पत्नी का नाम प्रियमति तथा पुत्री का नाम देवकी था। उसी गांव में सुंदर नामक युवक से उसका विवाह हुआ। उसके पुत्र का नाम बलिष्ठ और पुत्री का नाम रेवती था। पुत्री का विवाह गोकुल ग्राम में संगम - के साथ हुआ। आयु कम होने पर प्रियमति कालगत हो गई। धनदत्त भी दीक्षा लेकर गुरु के साथ विहरण करने लगा। कालान्तर में ग्रामानुग्राम विहार करते हुए धनदत्त अपनी पुत्री देवकी के गांव में आया। उस समय उन दोनों गांवों में परस्पर वैर चल रहा था। विस्तीर्ण ग्रामवासियों ने गोकुल ग्राम के ऊपर हमला करने की सोची। धनदत्त मुनि गोकुल ग्राम में भिक्षा के लिए प्रस्थित हुआ, तब शय्यातरी देवकी ने कहा—'आप गोकुल ग्राम में जा रहे हैं, वहां अपनी दौहित्री रेवती को कहना कि तुम्हारी मां ने संदेश भेजा है कि यह गांव तुम्हारे गांव के ऊपर दस्यु-दल के साथ प्रच्छन्न रूप से हमला करने आएगा अतः अपने सभी आत्मीयों को एकान्त में सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देना।' साधु ने सारी बात रेवती को कह दी। उसने अपने पति को सारी बात बताई। पति ने सारे गांव को यह सूचना दे दी। सम्पूर्ण गांव कवच आदि पहनकर युद्ध के लिए तैयार हो गया। दूसरे दिन धाटी विस्तीर्ण गांव में पहुंच गई। उन दोनों में युद्ध प्रारंभ हो गया। सुंदर और बलिष्ठ दस्युदल के साथ गए / संगम गोकुल ग्राम में था। वे तीनों युद्ध में काल-कवलित हो गए। देवकी ने पति, पुत्र और जंवाई के मरण को सुनकर विलाप करना प्रारंभ कर दिया। लोग उसे समझाने के लिए आए। उन्होंने कहा 'यदि गोकुल ग्राम में धाटी आने की सूचना नहीं होती तो वे सन्नद्ध होकर युद्ध नहीं करते और न ही तुम्हारे पति आदि की मृत्यु होती। किस दुरात्मा ने गोकुल गांव में सूचना भेजी?' लोगों से इस प्रकार की १.जीभा 1276, पिनि 179, 180 मटी प. 113,114, निभा 4517-19 चू पृ. 437 /