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________________ 592 जीतकल्प सभाष्य चोरों के साथ भोजन करने वालों और परोसने वालों को भी पकड़ लिया। जिन पथिकों ने कहा कि हम तो रास्ते में मिले थे, हम चोर नहीं हैं, उनको राजपुरुषों ने कहा कि तुम गोमांस को परोसने वाले हो अतः चोर की भांति अपराधी हो। उन सबको प्राणदंड की सजा दी गई। 30. प्रतिश्रवण : राजपुत्र-दृष्टान्त गुणसमृद्ध नगर में महाबल नामक राजा राज्य करता था। उसकी पटरानी का नाम शीला था। उसके बड़े पुत्र का नाम विजितसमर था। राज्य को प्राप्त करने के लिए उसने पिता के बारे में गलत ढंग से सोचना प्रारंभ कर दिया—'यह मेरा पिता वृद्ध होते हुए भी मरण को प्राप्त नहीं होता, लगता है यह दीर्घजीवी होगा। मैं अपने सैनिकों की सहायता से इसको मारकर राजगद्दी पर बैलूंगा।' उसने अपने सैनिकों के साथ मंत्रणा करनी प्रारंभ कर दी। उनमें से कुछ सैनिक बोले 'राजकुमार! हम आपकी सहायता करेंगे।' दूसरे बोले-'आप इस प्रकार कार्य करें तो ठीक रहेगा।' कुछ सैनिक उस समय मौन रहे। कुछ सैनिकों को यह बात अच्छी नहीं लगी अत: उन्होंने राजा को सारी स्थिति का निवेदन कर दिया। राजा ने सहायता करने वाले, सुझाव देने वाले तथा मौन रहने वाले सैनिकों के साथ ज्येष्ठ राजकुमार को अग्नि में डाल दिया। जिन सैनिकों ने आकर इस बात की सूचना दी, उनको सम्मानित किया। 31. संवास : पल्ली-दृष्टान्त ___ बसन्तपुर नामक नगर में अरिमर्दन राजा और प्रियदर्शना पटरानी थी। बसन्तपुर के पास भीमा नामक पल्ली थी, वहां अनेक भील, दस्यु और वणिक् रहते थे। वे दस्यु सदैव अपनी पल्ली से निकलकर अरिमर्दन राजा के नगर में उपद्रव करते थे। राजा का कोई भी सामन्त और माण्डलिक उनका निग्रह नहीं कर सका। नगर में होने वाले उपद्रवों को सुनकर अत्यन्त क्रुद्ध होकर साधन-सामग्री के साथ राजा स्वय भील दस्युओं की पल्ली की ओर गया। भील सामने आकर संग्राम के लिए उद्यत हो गए। प्रबल सेना के कारण राजा ने उत्साहित होकर उन सबको पराजित करके मारना प्रारंभ कर दिया। उनमें से कुछ मृत्यु को प्राप्त हो गए तथा कुछ वहां से भाग गए। राजा ने क्रोधपूर्वक उस पल्ली पर अपना अधिकार कर लिया। वहां रहने वाले वणिकों ने सोचा कि हम चोर नहीं हैं अतः राजा हमारा क्या कर सकेगा? यही सोचकर उन्होंने वहां से पलायन नहीं किया। राजा ने उनको भी बंदी बना लिया। वणिकों ने राजा से निवेदन किया'हम बनिए हैं, चोर नहीं।' उनकी बात सुनकर राजा ने कहा—'तुम लोग चोर से भी अधिक अपराधी हो क्योंकि तुम अपराध करने वाले चोरों के साथ रहते हो।' राजा ने उन सब वणिकों का निग्रह कर लिया। 32. अनुमोदना : राजदुष्ट-दृष्टान्त श्रीनिलय नगर में गुणचन्द्र नामक राजा राज्य करता था। उसकी पटरानी का नाम गुणवती था। उस १.जीभा 1129 पिनि 68/7,8 मटी प.४७। 2. जीभा 1129, पिनि 68/9 मटी प. 47 / 3. जीभा 1129, पिनि 69/1 मटी प. 48, 49 /
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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