________________ अनुवाद-जी-६८ 461 1911. वर्षाकाल में यथालघुक के जघन्य-जघन्य में आयम्बिल, जघन्य-मध्यम में उपवास तथा जघन्यउत्कृष्ट में बेले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1912. वर्षाकाल में लघुकतर के मध्यम-जघन्य में उपवास, मध्यम-मध्यम में बेला तथा मध्यमउत्कृष्ट में तेले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1913. वर्षाकाल में लघुक के उत्कृष्ट-जघन्य में बेला, उत्कृष्ट-मध्यम में तेला तथा उत्कृष्ट-उत्कृष्ट में चोले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1914. वर्षाकाल में गुरुपक्ष के जघन्य-जघन्य में उपवास, जघन्य-मध्यम में बेला तथा जघन्य-उत्कृष्ट में तेले का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1915. वर्षाकाल में गुरुकतर के मध्यम-जघन्य में बेला, मध्यम-मध्यम में तेला तथा मध्यम-उत्कृष्ट में चोले का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1916. वर्षाकाल में यथागुरुक के उत्कृष्ट-जघन्य में तेला, उत्कृष्ट-मध्यम में चोला तथा उत्कृष्टउत्कृष्ट में पंचोले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1917. शिशिरकाल में यथालघुस्वक के जघन्य-जघन्य में पुरिमार्ध, जघन्य-मध्यम में एकासन तथा जघन्य-उत्कृष्ट में आयम्बिल तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1918. शिशिरकाल में लघुस्वतर के मध्यम-जघन्य में एकासन, मध्यम-मध्यम में आयम्बिल तथा मध्यम-उत्कृष्ट में उपवास तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1919. शिशिरकाल में लघुस्वक के उत्कृष्ट-जघन्य में आयम्बिल, उत्कृष्ट-मध्यम में उपवास तथा उत्कृष्ट-उत्कृष्ट में बेले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1920. शिशिरकाल में यथालघुस्व के जघन्य-जघन्य में एकासन, जघन्य-मध्यम में आयम्बिल तथा * ' जघन्य-उत्कृष्ट में उपवास तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1921. शिशिरकाल में लघुस्वतर के मध्यम-जघन्य में आयम्बिल, मध्यम-मध्यम में उपवास तथा मध्यम-उत्कृष्ट में बेले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1922. शिशिरकाल में लघुक के उत्कृष्ट-जघन्य में उपवास, उत्कृष्ट-मध्यम में बेला तथा उत्कृष्टउत्कृष्ट में तेले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1923. शिशिरकाल में गुरुक के जघन्य-जघन्य में आयम्बिल, जघन्य-मध्यम में उपवास तथा जघन्यउत्कृष्ट में बेले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1924. शिशिरकाल में गुरुकतर के मध्यम-जघन्य में उपवास, मध्यम-मध्यम में बेला तथा मध्यमउत्कृष्ट में तेले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए। 1925. शिशिरकाल में यथागुरुक के उत्कृष्ट-जघन्य में बेला, उत्कृष्ट-मध्यम में तेला तथा उत्कृष्ट• उत्कृष्ट में चोले के तप का प्रायश्चित्त देना चाहिए।