________________ 414 जीतकल्प सभाष्य , से ब्राह्मण को दिया गया दान भी बहुत फल वाला होता है तो भला षट्कर्म में निरत ब्राह्मण को दान देने से होने वाले फल की तो बात ही क्या है? 1372, 1373. कुष्ठ रोगी तथा हाथ, पैर, आंख आदि से विकल कृपणों को दान देते देखकर मुनि उनके अनुकूल इस प्रकार की भाषा बोलता है-यह लोक पूजाहार्य-पूजितपूजक है। जो व्यक्ति कृपण, दुःखी, अबन्धु, रोगग्रस्त तथा लूले-लंगड़े को अनाकांक्षा से दान देता है, वह दानपताका का हरण करता है अर्थात् दान की पताका को अपने हाथ में ले लेता है। (कृपण-भक्तों के सम्मुख ऐसा कहना कृपण आदि की वनीपकता है।) 1374. कोई व्यक्ति अतिथियों को दान देता है, उनका वनीपकत्व करने पर भी उपर्युक्त दोष हैं। वहां मुनि दानपति के अनुकूल इस भाषा का प्रयोग करता है१३७५. प्रायः लोग अपने उपकारी, परिचित तथा आश्रितों को दान देते हैं परन्तु जो व्यक्ति मार्ग खिन्न अतिथि को दान देता है, वही वास्तव में दान है। (अतिथि-भक्तों के सम्मुख ऐसा कहना अतिथि वनीपकत्व है।) 1376. श्वानभक्त व्यक्ति को श्वान आदि को आहार देते देखकर मुनि उनके अनुकूल भाषा बोलता है कि तुम अकेले ही दान देना जानते हो। 1377. गाय, बैल आदि को तृण आदि का आहार सुलभ होता है परन्तु छिच्छिक्कार से तिरस्कृत कुत्तों को आहार-प्राप्ति सुलभ नहीं होती। 1378. ये श्वान कैलाश पर्वत के देव विशेष हैं। पृथ्वी पर ये यक्षरूप में विचरण करते हैं। इनकी पूजा हितकारी और अपूजा अहितकारी होती है। (श्वान-भक्तों के समक्ष ऐसा कहना श्वान वनीपकत्व है।) 1379, 1380. पूजित होने पर ये श्वान लोक के लिए हितकर तथा अपूजित होने पर अहितकर होते हैं। पूजनीय पूजे जाते हैं। पूजित होने पर ये श्वान हितकर तथा अपूजित होने पर अहितकर होते हैं अतः ये श्वान पूजनीय हैं। 1381. माहण आदि भक्तों के समक्ष उनकी प्रशंसा या अनुकूल वचन बोलने पर दाता सोचता है कि यह श्रमण मध्यस्थ है। 1382. इस मुनि ने मेरा भाव जान लिया है कि लोक में ब्राह्मण आदि प्रणामाई हैं। उपर्युक्त प्रत्येक विषय 1. मनुस्मृति (10/75) में ब्राह्मणों के योग्य षट्कर्म ये हैं - अध्यापनमध्ययनं, यजनं याजनं तथा / दानं प्रतिग्रहश्चैव, षट्कर्माण्यग्रजन्मनः।। ब्राह्मणों से संबंधित षट्कर्म इस प्रकार हैंउञ्छं प्रतिग्रहो भिक्षा, वाणिज्यं पशुपालनम्। कृषिकर्म तथा चेति, षट्कर्माण्यग्रजन्मनः॥ सन्ध्यास्नानं जपो होमो, देवतानां च पूजनम्। आतिथ्यं वैश्वदेवं च, षट्कर्माणि दिने दिने॥ पारा 1/39 योग से संबंधित षटकर्म इस प्रकार हैं-१. धौति २.वस्ति 3. नेती 4. नौली 5. त्राटक 6. कपालभाति / ' 1. आप्टे पृ. 999 /