________________ पाठ-संपादन-जी-१०१-१०३ 261 2574. वादपरायणकुवितो, चेतियतद्दव्व संजतीगहणे। "णिव्विसयादि चतुण्ह वि, कज्जाण हवेज्ज एगतरं" // 2575. संघो ण लभति कज्ज, लद्धं कज्जं महाणुभावेणं। तुभं ति विसज्जेमी, सो' वि य संघो त्ति पूएति // 2576. भणति य राया संघ, तुब्भं कज्जं करेमि अहमेतं / तुब्भे वि कुणह मज्झं, एयस्सेतं विसज्जेह // 2577. अब्भत्थितो 'सयं वा, रण्णा" संघो विसज्जते तुट्ठो। आदी मज्झऽवसाणे, सो यावि 'हवेज्ज सोहीए'६ // 2578. देसं व देसदेसं, सव्वं व वहेज्ज अहव मुंचेन्जा। छब्भागो से देसो, दसभागो देसदेसो तु॥ 2579. छम्मास परे बारसमासाणं बारसण्ह य समाणं। एक्के दो दो मासा, चउवीसा होति छब्भागो॥ 2580. अट्ठारस छत्तीसा, दिवसा छत्तीसमेव वरिसं च। . बावत्तरिं च दिवसा, 'दसभागेणं हवेज्जा वा" // 2581. आसायणपारंची, जहण्ण . छम्मास मास छब्भागो। छब्भागेणं वरिसे, दो मासा होति णातव्वा // 2582. पडिसेवणपारंची, वरिसे दो मास होति छब्भागे। वरिसाण बारसहं, मासा चतुवीस छब्भागे॥ 2583. दसभागेणऽट्ठारस, दिवसा छण्हं हवंति मासाणं। वरिसस्स तु दसभागे, दिवसा छत्तीसइं होंति // 2584. वरिसाण बारसण्हं, वरिसं बावत्तरि 'चऽहोरत्ता' / दसभागेण हवंति हु, एसो खलु देसदेसो तु॥ 2585. एवं तस्स तु संघो, तुट्ठो देसं व देसदेसं वा। मुंचेज्ज वहेज्जा वा", अहवा सव्वं व झोसेज्जा // १.व्युत्ताण चउण्ह वि, कज्जाण हवेज्ज अण्णतरं (व्य 1226) / २.से (ता, ला, पा)। 15053, व्य 1227 / ४.परण्णा सयं वि (व्य 1228,65054) / 7. दसभाग वहेज्ज बितिओ तु (बृ५०५६)। 8. होति (पा, ला)। 9. होज्ज व ऽहो (ता)। 10. व्व (पा, ब, ला)। 11. 4 (ला)। 6. दोसो धुओ होइ (ब)।