________________ पाठ-संपादन-जी-९५,९६ 255 2517. एत्थं पुण अधिगारो, पढमगभंगेण उभयदुद्वेण / उच्चारितसरिसाई, सेसाइं विकोवणट्ठाए॥ 2518. इति एस अभिहितो तू, उभयपदुट्ठो य रायवधगो य। रायग्गमहिसिपडिसेवगो उ अहुणा इमो होति॥ 2519. रायस्स महादेवी, अहवा जा जस्स होति इट्ठा तु। सा तस्स होति अग्गा, अग्ग पहाण त्ति एगट्ठा // 2520. तं पडिसेवति जो तू, पुणो पुणो होति बहुससद्दो तु। लोगपगासो अहवा, सो पावति चरिमठाणंरे तु॥ 2521. चस्सद्दा अण्णाण वि, जा इट्ठा सा हु' तेसि होअग्गा। जुवरायादीयाणं, तेसिं पि जहेव राइस्स / / 2522. इतरमहिलासु चरिमं, ण विज्जती कीस? एव चोदेति। भण्णति बहुयाऽवाया, इतरासुं. अप्पणो चेव॥ 2523. रायस्स अग्गमहिसीएँ अप्पणो कुल गणे व संघे वा। पत्थारादी दोसा, पागतमहिलासु तस्सेव // 2524. वतलोवों सरीरे वा, दोसा' ण हु कुल-गणादिपत्थारो। ___एतेण कारणेणं, इतरासु ण होति चरिमपदं / - 2525. दुद्वेसो पारंची, भणितो अहुणा पमत्त वोच्छामि। सो कलुस विकह वियडे, इंदिय-णिद्दा य पंचविधे // 2526. कोधादि चउह कलुसा, विकहा पुण इत्थिमादिया चतुहा। पुव्वब्भासा वियडं, इंदिय सोयादिए पणगं / 2527. पोग्गल मोदग 'फरुसग, दंते'" वडसालभंजणे चेव / . 'थीणद्धीआहरणा, वोच्छामि विभागमेतेसिं॥ - १.दुविह दुढे वी (बृ५०१५)। 6. फरुसगशब्देन समयप्रसिद्धया कुम्भकारोऽभिधीयते २.हाणं (ता, पा, ला)। (विभामहेटी)। ३.६(ला)। .. 7. भंते (ता, ब, ला), दंते फरुसग (नि 135, विभा 235) / 8. सुत्ते (बृ५०१७) १.स.माथा के बाद प्रतियों में 'दुट्टपारंचिए त्ति गतं' का 9. एतेहिं पुणो तस्सा विविंचणा होति जतणाए (ब), उल्लेख है। णिद्दप्यमादे एते, आहरणा एवमादीया (नि 135), “गमो तेसिं (ता, ला)।