________________ 250 जीतकल्प सभाष्य 2467. अण्णं व एवमादी, अवि पडिमासु वि तिलोगमहिताणं। जइ भणति' कीस कीरति, मल्लालंकारमादीयं? // 2468. जो वि पडिरूवविणयो, तं सव्वं अवितहं अकुव्वंतो। वंदण-थुतिमादीयं, तित्थगरासायणा एसा // 2469. अक्कोसतज्जणादिसु', संघमहिक्खिवति संघपडिणीए / अण्णे वि अत्थि संघा, सियाल-णंतिक्क-ढंकादी // 2470. काया वया य ते च्चिय, ते चेव पमाद अप्पमादा य। मोक्खाहिकारियाणं, जोतिसविज्जाहि' किं च पुणो? // 2471. इड्डि-रस-सातगुरुगा, परोवदेसुज्जता जहा मंखा। अत्तट्ठपोसणरता, 'आयरिया जह दिया चेव'१॥ 2472. अब्भुज्जतं विहारं, देसेंति परेसि सयमुदासीणा। उवजीवंति य 'इड्डिं, णीसंगा'१२ मो त्ति य भणंति३ // 2473. गणहर एव महिड्डी, महातवस्सी व वादिमादी वा। तित्थगरपढमसीसा", आदिग्गहणेण गहिता वा॥ 2474. सा दुह देसे सव्वे, देसम्मी एगदेसमादीया। जं वयति सव्व देसो, सव्वेसिं वावि सव्वेसो॥ 2475. तित्थकरं संघं वा, देसेणं वावि अहव सव्वेणं / आसाएंते चरिमं, सेसेसुं चतुगुरू देसे॥ 1. भण्णति (पा)। त्ति गतं' का उल्लेख है। 2. ब (4977) में गाथा का उत्तरार्ध इस प्रकार है- 8. मप्प (बु 4979) / पडिरूवमकुव्वंतो, पावति पारंचियं ठाणं / 9. “ज्जासु (बु), 'सजोणीहिं (बृ 1303) / 3. व (ला)। 10. इस गाथा के बाद सभी प्रतियों में 'सुते त्ति गतं' का 4. इस गाथा के बाद सभी प्रतियों में 'तित्थगरे त्ति गतं' का उल्लेख है। उल्लेख है। 11. पोसेंति दिया व अप्पाणं (बृ 4980) / 5. अक्कोस-तज्जणाइस त्ति विभक्ति व्यत्ययाद आक्रोश- 12. रिद्धिं निस्संगा (ब 4981) / तर्जनादिभिः (बृभाटी)। 13. इस गाथा के बाद सभी प्रतियों में आयरिए त्ति गतं' का 6. *णीतो (बृ 4978) / उल्लेख है। 7. ढंकाणं (ब), इस गाथा के बाद सभी प्रतियों में 'पवयणे 14. सिस्सा (बृ 4982) /