________________ पाठ-संपादन-जी-९३,९४ 249 2458. गच्छिल्लया 'गुरुस्स उ", गुरु अणुपरिहारिगे समप्पेंति। __ अणुपरिहारी परिहारियस्स देंतेस' जतणा तु॥ 2459. सो वा करेग्ज तेसिं, आगाढ परंपरेण एमेव। गुरुणो एगागिस्स व, अण्णऽसतीए करेज्जाहि // 2460. ताहे णित्थिण्णतवो, कुलादिकज्जे व तप्पितो जो तु। उवठावण तस्स भवे, केई गिहिवेस काऊणं // 2461. गिहिवेसमकाऊणं, उवट्ठवेंते उ होति चउगुरुगा। आणादिणो य दोसा, पावति अहवा इमे दोसे // 2462. वरणेवत्थं एगे, हाणविवज्जमवरे जुवलमत्तं / परिसामज्झे धम्मं, सुणेज्ज कहणा पुणो दिक्खा // 2463. किं तस्स तु गिहिवेसं?, किं वरणेवत्थ? किं व जुयलं तु?। किं वा परिसामज्झे, धम्मो सें कहिज्जते तस्स? // 2464. ओभामितो ण कुव्वति, पुणो वि सो तारिसं अतीयारं। होति भयं 'सेहाण य'६, 'गिहिभूते ऽधम्मया" चेव॥ . तित्थगर पवयण सुतं, आयरियं गणधरं महिड्डीयं। आसाएंतो बहुसो, आभिणिवेसेण पारंची॥९४॥ 2465. किह पुण आसाएती?, अवण्णवायाइ वयति जं तेसिं। केरिसओ तु अवण्णो?, भण्णइ इणमो णिसामेहि // 2466. पाहुडियं उवजीवति', जाणतो किं व्व. भुंजते भोग?। 'अजुतं च इत्थितित्थं", अतिकक्खड 'देसिता चरिया१२ // 1.4 (ला)। २.देंतेसु (ब)। 3. 'ज्जाहि (ला)। 4. केयी (पा)। 5. जुगल' (व्य 1207) / 6. सेसाणं (व्य 1208) / ७.गिहिरूवे धम्मता (व्य), इस गाथा के बाद सभी प्रतियों में 'अणवटुप्पे त्ति गतं' का उल्लेख है। 8. तित्थं (पा)। 9. अणुमण्णति (बृ 4976) / 10. व (मु, बृ)। 11. थीतित्थं पि य वुच्चति (ब)। 12. देसणा यावि (ब)।