________________ 248 जीतकल्प.सभाष्य 2447. ताहे आसासेती, आयरिओ मा हु एव तं बीभे। अणुपरिहारी एस य, अहवा' 'कप्पट्ठितो एसो'२ // 2448. जं किंचि पाडिपुच्छं, तं सव्व मए समं करेज्जाहि। हिंडिहिसी भिक्खं पि य, अणपरिहारीण तं सद्धिं // 2449. एव भणितो तु संतो, आसासति' तं च ताहें णित्थरति। किह पुण होआसासो?, भण्णति इणमो णिसामेहि // 2450. जह कोइ अगडपडितो, जइ भण्णति एस हा! मतोवरतो। तो मुंचति अंगाई, पच्छा मरती य सो ताहे // 2451. अह पुण भण्णति एवं, मा बीहसु एस आणिया रज्जू। उत्तारिज्जसि / एवं, आसासो से हवति ताहे // 2452. एवं णदिवुब्भंते, राया रुट्ठो व कासती होज्जा। सो वि जइ विणट्ठो सि त्ति भण्णते तो विराएज्जा॥ 2453. अह भण्णति मा बीभे, राया असमिक्खिते अकज्जे वा। ण वि किंचि करेइ त्ती, मोइज्जेहिसि व आससति // 2454. एवासासो तस्स वि, होती आसासियस्स संतस्स। ___इय पडिवण्णो सो ऊ, वहति हु उग्गं तवोकम्मं // 2455. तो उग्गेण तवेणं, सो जाहे खामदुब्बलसरीरो। ण तरेज्जुट्ठाणादी, काउं. ताहे इमं भणति // 2456. उद्वेज्ज णिसीएज्जा, भिक्खं हिंडेज्जर भंडगं पेहे। 'कुवितपियबंधवो विय, तुसिणी संघाडों तो कारे'१२ // 2457. बितियपद अण्णगच्छा, पेसेज्जा वंदणं अयाणंतो। गेलण्णे उभयस्स व, कुज्जा करणिज्ज जतणाए॥ 1. अहव (पा, ला)। 2. कप्पट्ठिती एसा (मु)। 3. आससती (ता, ला)। 4. किं (ला, पा)। 5. मेहिं (मु, पा)। 6. उत्तरेज्जसि (ता)। 7. ति (पा, ला)। 8. आसास (ब), आसती (ता, ला)। 9. इस गाथा के बाद सभी प्रतियों में आसासो त्ति गतं' का उल्लेख है। 10. "एज्ज (मु)। 11. गेण्हेज्ज (नि 2885) / 12. धवस्स व करोति इतरो च तसिणीओ (नि)।