________________ पाठ-संपादन-जी-८७ 243 2398. तो वच्च ते वणीए, भणाहि अत्थं पयच्छहा मझं / तेणाऽऽगंतुं भणितो, तो तेसिं बेति अह एक्को॥ 2399. कत्तो अत्थो अम्हं?, किं सउणी रूवए इहं हगती? / बीओ चंगेरि भरेत्तु, णिग्गतो णउलयाणं' तु॥ 2400. गिण्हसु जावइएहिं, कज्जं ती गहित तेण जावऽट्ठो। - बितियम्मि हायणम्मी, किं गिण्हामो? त्ति ते बेंति // 2401. भणितो सउणि हगंतो, तण-कटुं वत्थ-रूत-कप्पासे। णेह-गुल-धण्णमादी, अंतो णगरस्स ठावेहि // 2402. बितिओ य तहिं भणितो, सव्वादाणेण गिण्ह तणकट्ठ। 'णगरबहिद्धा ठावय, गहिते णवरिं५ च वासासुं। 2403. छइएसुं६ गेहेसुं, पलित्तें दटुं ततो उ तं णगरं / .. तणकट्ठाणं पुंजो, रूवयपुंजो तु सो जातो॥ 2404. दड्डमितरस्स सव्वं, ताहे सो गंतु भणति आयरियं / उच्छाइओ अहोऽहं, किह व ण णातं समं तुब्भे? // 2405. किं सउणिगा निमित्तं, हगंति अम्हं? ति भणति णेमित्ती। होति कयाइ० 'तहऽण्णह' 19, रुटुं णातुं तओ खामे॥ 2406. एमादिणिमित्तेहिं, उप्पाए ऽत्थम्मि अत्थदाण भवे। सो एरिसगो पुरिसो, अब्भुटेज्जा जइ कयाइ॥ 2407.. तस्स तु ण उवढवणार, तम्मि३ खेत्तम्मि जाव संचिक्खे। एस च्चिय अणवट्ठो, जऽणुवट्ठवणा तहिं खेत्ते // 1. णतुल" (ता, ब)। 2. तो (मु), वी (ला)। 3. बेमि (ब)। 4. रूतं (पा), रूव (ता, ला)। 5. णवरि (ला)। 6. ठइएसुं (ब, मु)। 7. अइवमहग्यो (पा, मु)। 8. जो (ब, ला)। 9. भणित (ला)। 10. कइयाइ (ता, ला)। 11. तह अण्णह (ब)। 12. हु उवठवणा (ला, पा)। 13. तम्मि (ब)। 14. क्खं (ता, ब, ला)।