________________ पाठ-संपादन-जी-८७ 237 2332. वोच्छेद गुरुगिलाणे, गुरुगा लहुगा य खमगपाहुणगे। गुरुगो य बालवुड्डे, सेहे य महोदरे लहुगो॥ 2333. भत्तम्मि भणितमेतं, तेण्णं भणितं च मेयमच्चित्ते। अहुणा सच्चित्तम्मी, सेहे सेहीय वोच्छामि॥ 2334. तं पुण णिज्जंतो वा, अभिहारेंतो व आसियाडेज्जा। भिक्खादि पविढे वा, गाम बहि ठवेत्तु णिज्जतो // 2335. तं पुण सण्णादिगतो, अद्धाणीओ व कोइ पासेज्जा। वंदितपुट्ठो कोई', भणे अहं पव्वतिउकामो // 2336. ससहाओ असहाओ?, त्ति पुच्छतो भणति ताहें ससहायो। सो कत्थ? मज्झ कज्जे, छात पिवासस्स वा अडति // 2337. तो बेति अण्णपासं, इम भुंजऽणुकंपयाएँ सुद्धो तु। धम्मं च 'पुट्ठऽपुट्ठो'२, कहेति सुद्धो असढभावो / 2338. सढयाए पुण दोसो, भत्तं देंतस्स अहव कहयंते। आसीआवणहेतुं, सोहि इमेहिं तु ठाणेहिं / 2339. भत्ते पण्णवण णिगृहणा य वावार झंपणा चेव / पत्थवण सयंहरणे, सेहे अव्वत्त वत्ते य॥ 2340. गुरुगो चतुलहु चतुगुरु, छल्लहु 'छग्गुरुग छेदमव्वत्ते। _ 'वत्ते भिक्खुणों मूलं, दुगं तु अभिसेग आयरिए' // 2341. एवं ता जो णिज्जति, अभिधारेंतो' पुणोति- जो जाति। सो वि य तहेव पुट्ठो, भणाति वच्चामऽमुगमूलं / / 2342. तह चेव भत्तपाणं, पण्णवणा चेव होति एत्थं पि। सेसा णिगृहणादी, सव्वे वि पदा ण संति इहं // 2343. एमेव य इत्थीए, णिज्जंतऽभिधारयंति एमेव। वत्तऽव्वत्ताएँ गमो, दोसा य इमे हरंतस्स // 1. कोती (पा, ब, ला)। 2. पुट्ट अपुट्ठो (ता, ब)। 3. पट्ठवण (नि 2703) / ४.बृ५०७६। 5. रुगमेव छेदो य (बृ 5077, नि 2704) / ६.भिक्खु-गणा-ऽऽयरियाणं, मूलं अणवट्ठ पारंची (ब,नि)। 7. अहिहारेंतो (पा, ब, मु)। 8. पुणोतिं (पा, ला)। 9. तु. बृ५०८०।