________________ पाठ-संपादन-जी-८७ 235 2310 सेहो त्ति अगीतत्थो, जो वा गीतो अणिड्डिसंपण्णो। उवधी पुण वत्थादी, अपरिग्गह' एतरो तिविधो॥ 2311. अपरिग्गहितो तहियं, साहम्मी मोत्तु पवसितो जस्स। अवहरमाणेरे सोधी, होति इमा खेत्तणिप्फण्णा // 2312. अण्णोवस्सयबाहिं, णिवेस वाडे य गाममुजाणे / सीमाए जा णेयं, सव्वत्थ वि अंत बहिया या' / 2313. एतेसुं तेणेते मासलघु आइकाउ जा छेदो। - अड्डोक्कंती णेयं, अद्दिद्वेसा भवे सोधी॥ 2314. मासगुरुगादि दिवे, मूलं सेहस्स- एयणिट्ठाई। अभिसेगाऽऽयरियाणं, एक्केक्कं ठाणगं . वड्डे // 2315. एवं तुवस्सयाओ, साहम्मीणुवहिमवहरंतस्स। वावारिते इदाणि", वोच्छं सयमेव गेण्हते॥ 2316. वावारिता गुरूहिं, वच्चह आणेह 'तिविधमुवहि ति। तं लद्धं तत्तो च्चिय, तुझ मज्झे य अत्तट्ठी // 2317. लहुगो अत्तटुंते, जइ पुण आणेत्तु गुरुण न णिवेदे। तो होती चतुलहुगा, अणवठ्ठप्पो व आदेसा॥ . 2318. वावारिततेण्णेतं, अण्णो पुण सावए णिमंतेते। पडिसिद्धाऽऽयरिएणं, दणं तत्थ गंतूणं // 2319. बेती झामित उवधी, अहगं च गुरूहिँ पेसितो देह / तो दिण्णो तेहुवधी, किह° पुण सड्ढेहिँ सो णातो? // 2320. सो तं घेत्तूण गतो, णवरं ते आगता गुरुसगासं। पुच्छंति य ते सड्ढा, उवधिं पहुत्तों व९ ण पहुत्तो? // 1. सपरि (बृ५०६५)। 2. आह. (मु)। 3. वा (मु)। 4. तेण्णेत्ते (ता, ला)। ५.सेहस्सा (ला)। 6. एव (पा)। 7. इदाणि (ला)। 8. वहिं ति (ला, पा, मु)। 9. तुब्भं (ता)। 10. किं (पा, ला)। 11. x (ता, पा, ब, ला)।