________________ पाठ-संपादन-जी-७१ 219 2138. जत्तिएण गणो ऊणो, तत्तिए तत्थ पक्खिवे। एगं दुवे अणेगा वा, एस कप्पे तु ऊणिए // 2139. एते अणूणिए कप्पे, उवसंपज्जति जो तहिं / एगे दुवे अणेगा वा, तेसिं कप्पो इमो भवे॥ 2140. अच्छंति ता उ दिक्खंता, जाव पुण्णा तु ते नव। पच्छा तु पडिवज्जंति, जं कप्पं तेसि अंतिए / 2141. पमाण कम्पट्ठितो तत्थ, ववहारं ववहरित्तए। अणुपरिहारियाणं पि, पमाणं होति 'सेव तु॥ 2142. आलोयण कप्पठिते, पच्चक्खाणं तहेव वंदणगं। तं च वहंते ते तू, उज्जाणी एव मण्णंति // 2143. अणुपरिहारी गोवालगव्व गावीण णिच्चमुज्जुत्ता। परिहारियाण मग्गतों, हिंडंती णिच्चमुज्जुत्ता॥ 2144. पडिपुच्छं वायणं चेव, मोत्तूणं नत्थि संकहा। ___ आलावो अत्तणिद्देसो, परिहारिस्स कारणे // 2145. परिहारियाण उ तवो, वासासुक्कोस मज्झिम जहण्णो। बारसम दसम अट्ठम, दसमऽट्ठम छट्ठ सिसिरेसु // 2146. अट्ठम छ8 चउत्थं, गिम्हे उक्कोस मज्झिम जहण्णो। आयंबिलपारणगं, अभिगहिता'. एसणाए तु॥ 2147. अणुपरिहारीया पुण, निच्चं पारिति ते उ आयामे। कप्पट्टिते वि ते च्चिय, आणिंति अभिग्गहीताहिं // 2148. परिहारिय पत्तेयं, अणुपरिहारीण तह य कप्पठिते। __पंचण्ह वि तेसिं तू, संभोगेक्को मुणेतव्वो॥ 2149. परिहारिएसु वूढे, अणुपरिहारी ततो वहंती तु। ___ कप्पट्ठितो य पच्छा, वहती वूढेसु तेसुं तु॥ 1. से विऊ (बृ 6469) / बारस दसऽ8 दस अट्ठ छच्च अद्वैव छच्च चउरो य। 2.66471 / उक्कोस-मज्झिम-जहण्णगा उ वासा सिसिर गिम्हे // 3. गा. 2145 और 2146 के स्थान पर बृ (6472) में 4. छच्च (ला)। निम्न गाथा मिलती है 5. अभिग्ग’ (ता, पा)।