________________ पाठ-संपादन-जी-७१ 217 2119. पव्वज्जा अट्ठवासस्स, उवट्ठा नवमम्मि उ। एगूणवीसपरियाए, दिट्ठिवादो य तस्स तु॥ 2120. उद्दिस्सति वरिसेण य, तस्स य सो तु समप्पती। नव वीसा य मेलीणा, ऊणतीसा भवंति तु॥ 2121. इति एगूणतीसाए, सयमूणं तु पच्छिमे। एसो दोसु तु एतेणं, ऊणाई दो सताणि य॥ 2122. पालइत्ता सयं ऊणं, ठाणं ते तु पच्छिमे। काले देसेंति अण्णेसिं, इति ऊणा उ बे सता॥ 2123. पडिवजंति' जिणिंदस्स, पादमूलम्मि जे विदू। ठावयंती उ ते अण्णे, नो तु ठावितठावगा। 2124. सव्वे चरित्तमंता य, दंसणे परिणिहिता। नवपुवी' जहण्णेणं, उक्कोस दसपुव्विगा॥ 2125. पंचविधे ववहारे, कप्पे ते दुविधम्मि य। दसविधे य पच्छित्ते, सव्वे ते परिणिट्ठिता / / 2126. अत्तणो' आउगं सेसं, जाणित्ता ते महामुणी। परक्कमं बलं विरियं, पच्चवाए तहेव य॥ 2127. जइ जीतपच्चवाया, ण होंति तेसिं तु अण्णतरा। तो तं पडिवज्जंती, वाघातेणं तु तेण वी // 1. गा. 2119 से लेकर 2122 तक की चार गाथाओं के स्थान पर बृ (6451, 6452) में दो गाथाएं हैं। 2. उ (पा, ला, मु)। 3. पडिवण्णा (बृ 6453) / 4. यंते (ता, ब, ला), "यंति (बृ)। 5. पुव्विया (बृ६४५४)। 6.66455, ता प्रति में यह गाथा नहीं है। 7. अप्पणो (बृ६४५६)। 8. च बल (ता, बृ)। 9. इस गाथा के बाद प्रतियों में निम्न गद्यांश मिलता है- पडिवज्जंते वीसग्गसो कहं देसूणा दो सया भवंति? वीसाए परेण वि एयमग्गं, पव्वज्जा सिलोगा 3 वाससयाउगा मणुस्सा जम्मातो, सेसं तहेव सव्वं तत्थ जे उसभसामिस्स तित्थे पुव्वसतसहस्सा ते देसूणा दो पुव्वकोडी भवंति। कहं? अट्ठवासपरियातो, सिलोगा 3 / ते पुव्वकोडिआऊगा मणुस्सा जम्माओ 8 पव्वइता, 29 वासाए दिट्ठिवाओ व समप्पति, सो उसभसामिकालपडिवण्णो, एसा एगा पुव्वकोडी देसूणा। एयस्स मूले एवं च अण्णो पडिवज्जति तस्स वि समप्पती णव वीसा य मेलीणा कुणती सा भवे देसूणाओ दो पुव्वकोडीओ। एतस्स अण्णा मूले ण पडिवज्जंति। उसभसामिस्स आउयं 84 (लक्खपुव्वाणि)।