________________ 212 जीतकल्प सभाष्य 2068. एगवसहीएँ पणगं, छव्वीहीओ या गामें कुव्वंति। दिवसे दिवसे अण्णं, अडंति 'वीहिं तु'२ नियमेणं / / 2069. परिहारविसुद्धीणं, जहेव जिणकप्पियाण नवरं तु। आयंबिलं तु भत्तं, 'बोद्धव्वो थेरकप्पो तु" // 2070. अजाण परिग्गहिताण उग्गहो जो तु सो हु' आयरिए। काले' दो दो मासा, उदुबद्धे तासि कप्पो तु // 2071. सेसं जह थेराणं, पिंडो य उवस्सयो य तह तासिं। सो सव्वो वि य दुविधो', जिणकप्पो थेरकप्पो य॥ 2072. जिणकप्पियऽहालंदी, परिहारविसुद्धियाण जिणकप्पो। . थेराण अज्जियाण' य, बोद्धव्वो थेरकप्पो . तु॥ 2073. दुविहो उ० मासकप्पो, जिणकप्पो चेव थेरकप्पो य। णिरणुग्गहो जिणाणं, थेराण अणुग्गहपवत्तो॥ 2074. उदुवासकाल २ऽतीते, जिणकप्पीणं तु गुरुग गुरुगा य। होंति दिणम्मि दिणम्मी, थेराणं ते च्चिय लहू तु // 2075. तीसं पदाऽवराहे, पुट्ठो अणुवासियं अणुवसंतो। जे जत्थर३ पदे दोसा, ते तत्थ ततो समावण्णो" // 2076. पण्णरसुग्गमदोसा, दस एसणदोस एते१५ पणुवीसं। संजोयणाइ पंच य, एते तीसं तु * अवराहा // 2077. एतेहिं दोसेहिं, 'ऽसंपत्तीए वि लग्गती नियमा'। दिवसे दिवसे सो ऊस, कालातीते वसंतो तु॥ 1. व (पंक)। 2. वीही (मु), वीहीइ (पंक २५६०),वीहीस (प्रसा६१७)। 3. गेण्हंती वासकप्पं च (पंक 2561) / 4. तु (पंक)। 5. कालतो (मु, ब)। 6. पंक 2562 / 7. x (ला)। 8. यं (ला), पंक 2563 / 9. अज्जाण (पंक 2564) / 10. य (ब, पंक 2565) / 11. बृ (6431) में गाथा का उत्तरार्ध इस प्रकार है एक्केक्को वि य दुविहो,अट्ठियकप्पो य ठियकप्पो। 12. उडुवा (पंक 2566) / 13. तत्थ (मु)। 14. पंक 2567 / 15. एय (ला)। १६.पंक 2568 / 17. जदि असंपत्ति लग्गती तह वि (पंक 2569) / 18. खलु (पंक)। 19. काल अतीते (पा, ला)।