________________ पाठ-संपादन-जी-७१ 211 2058. जिणथेरअहालंदे, परिहारिग अज्ज मासकप्पो तु। खेत्ते कालमुवस्सयपिंडग्गहणे य नाणत्तं // 2059. एतेसिं 'पंचण्ह वि२, अण्णोण्णस्सा चतुप्पएहिं तु। खेत्तादीहि विसेसो, जह तह वोच्छं समासेणं // 2060. नत्थि तु खेत्तं, जिणकप्पियाण उडुबद्ध मासकालो तु। वासासुं चउमासा, वसधी अममत्तऽपरिकम्मा / 2061. पिंडो तु अलेवकडो, गहणं तू एसणाहुवरिमाहिं / तत्थ वि कातुमभिग्गह, पंचण्हं अण्णयरियाए / 2062. थेराण अस्थि खेत्तं, तु उग्गहो जाण' जोयण सकोसं। ... नगरे पुण वसहीए, कालो उडुबद्ध मासो तु॥ 2063. 'उस्सग्गेण य” भणितो, अववाएणं तु होज्ज अहिगो वि। एमेव य वासासु वि, चतुमासो होज्ज अहिगो वा // 2064. अममत्त-अपरिकम्मो, उवस्सओ एत्थ 'भंगया चतुरो' / उस्सग्गेणं पढमो, तिण्णि तु 'अववायओ भंगा // 2065. भत्तं लेवकडं वा, ऽलेवकडं९ वा वि ते तु गेहंति। सत्तहि वि१२ एसणाहिं, सावेक्खो गच्छवासो त्ति५२ // 2066. अहलंदियाण गच्छे, अप्पडिबद्धाण जह जिणाणं तु / नवरं कालविसेसो, उदुमासो४ पणग चतुमासो / 2067. गच्छे पडिबद्धाणं, अहलंदीणं तु अह पुण विसेसो। 'जो तेसि उग्गहो खलु, सोमोऽऽयरियाण'१५ आहवति / / 1. पंक 2550 / 2. हं (ला)। 3. स्स उ (पंक 2551) / 4. पंक 2552 / 5. पंक 2553 / 6. जाव (पंक 2554) / 7. गेणं (पंक 2555) / ८.वि (पंक)। 9. भंग चउरो उ (पंक 2556) / १०.सेसाववादेणं (पंक)। 11. अले" (पा, ला, मु)। 12. व (पा, मु)। 13. पंक 2557 / 14. उडुवासे (पंक 2558), उउवासे (प्रसा 615) / 15. उग्गहो जो तेसिं तू सो' (पंक 2559), उग्गह जो तेसिंतु सो आयरि (प्रसा 616) /