________________ 206 जीतकल्प सभाष्य 2006. लोभे एसणघातो, संका तेणे 'नपुंस इत्थी य"। इच्छंतमणिच्छंते, चातुम्मासा भवे गुरुगा // 2007. अण्णत्थ एरिसं दुल्लभं, ति गेण्हेज्जऽणेसणिज्जं पि। अण्णेण वि अवहरिते, संकिज्जति एस तेणो त्ति // 2008. संका चारिग चोरे, मूलं 'णिस्संकिते य" अणवट्ठो। परदारि अहिमरे वा, नवमं णीसंकिते' दसमं // 2009. अलभंता 'य वियारं , इत्थि-णपुंसा बला वि गेण्हेज्जा। आयरिय-कुल-गणे वा, संघे 'वा कुज्ज" पत्थारं // 2010. अण्णे वि अस्थि- दोसा, 'गोम्मियआइण्णरतणमादी य"। तण्णीसाएँ पविसे, तिरिक्ख-मणुया भवे दुट्ठा // 2011. गोम्मियगहणा हणणा, रण्णो य णिवेइयम्मि जं पावे। आइण्णरतणमादी", सय गेण्हेतरों व तण्णीसा // 2012. चारियचोराभिमरा, कामी व विसंति तत्थ तण्णीसा। वारण-तरच्छ-वग्घा, 'मेच्छा य११ नरा व घातेज्जा / / 2013. दुविधे गेलण्णम्मी, निमंतणा दव्वदुल्लभे असिवे। ओमोदरिय पदोसे, भए व गहणं अणुण्णातं५ // 2014. तिक्खुत्तो सक्खेत्ते, चउद्दिसिं मग्गितूण * कडजोगी। दव्वस्स य दुल्लभता, 'जतणाए कप्पती ताहे '16 // 1. चरित्तभेदे य (नि 2523) / 2. बृ 6389, नि 2505 / 3. बृ 6390, नि 2506 / 4. “कियम्मि (बृ 6391) / 5. णिस्सं (बृ)। 6. पवियारं (बृ 6392) / 7. व करेज्ज (बृ)। 8. होंति (बृ 6393) / 9. आइण्णे गुम्म रतणमादीया (ब)। 10. पवेसो (ब)। 11. आदीणर' (पा, ब, ला)। 12. बृ (6394) में इस गाथा के स्थान पर निम्न गाथा मिलती हैआइण्णे रतणादी, गेण्हेज सयं परो व तन्निस्सा। गोम्मियगहणा-ऽऽहणणं, रण्णो व णिवेदिए जंतु॥ 13. वाणर (बृ)। 14. मिच्छादि (बृ 6395, नि 2511) / 15. पंक 1305, बृ 6396, नि 2532 / 16. सागारियसेवणा दव्वे (बृ 3555), बृ 6397, इस गाथा के बाद प्रतियों में 'रायपिंडे ति गतं' का उल्लेख है।