________________ 202 जीतकल्प सभाष्य 1967. कप्पट्ठिता परिणता, कडजोगी चेव होंति तरमाणा। पडिपक्खेण वि चतुरो, ऽकप्पट्ठियमादि नातव्वा / 1968. पतिट्ठा 'ठवणा ठवणी", ववत्था संठिती ठिती। __अवत्थाणं अवत्था य', एगट्ठा चिट्ठणा ति य॥ 1969. सामाइए य छेदे, णिव्विसमाणे तहेव णिविटे। जिणकप्पे थेरेसु य, छव्विध कप्पट्ठिती होति // 1970. सो पुण ठिति मज्जाया, णासो कप्पो य होति कतिहा उ?। भण्णति सो दसभेदो, इणमो वोच्छं समासेणं.॥ 1971. आचेलक्कुद्देसिय, सेज्जातर . रायपिंड कितिकस्मे। वत-जेट्ठ पडिक्कमणे, मासं पज्जोसवणकप्पे // 1972. कतिहिं ठिता अठिता वा, सामाइयकप्पसंठिती णियमा?। . कतिठाणपतिट्ठो वा, छेदोवट्ठाणकप्पो उ?॥ 1973. चतुहिँ ठिता छहिँ अठिता, सामाइयसंजता मुणेतव्वा। दससु वि णियमा तु ठिता, छेदोवट्ठा मुणेतव्वा // 1974. सेज्जातरपिंडे या, 'कितिकम्मे चेव चाउजामे' य। 'पुरिसज्जेट्टे य तहा", चत्तारि अवट्ठिता कप्पा // 1975. आचेलक्कुद्देसिय, 'रायपिंडे तहा पडिक्कमणे"। मासं पज्जोसवणा, छप्पेतऽणवट्ठिता कप्पा॥ 1976. दसठणठितो कप्पो, पुरिमस्स य 'पच्छिमस्स य२० जिणस्स। आचेलक्कादीसुं, तेसिं तु परूवणा इणमो॥ 1. ठावणा ठाणं (बृ 6356) / 2. अवत्था (ब)। . 3. या (मु, पा)। 4. बृ 6357 / 5. बृ 6364, पंक 1271 / 6. चाउज्जामे य पुरिसजेटे (बृ 6361) / 7. कितिकम्मस्स य करणे (ब)। 8. राइणिय पुरिसजेट्ठो, चउसु वि एतेसु होति ठितो (पंक 1273) / 9. सपडिक्कमणे य रायपिंडे य (बृ 6362) / 10. x (पा)। 11. बृ (6363) तथा पंक (1270) में गाथा का उत्तरार्ध क्रमशः इस प्रकार है• एसो धुतरतकप्पो, दसठाणपतिट्ठितो होति। * कतरे दसठाणा तू, भण्णति आचेलगाइ इमे।