________________ पाठ-संपादन-जी-६७ 191 1842. गुरुगं च अट्ठमं खलु, गुरुगतरागं च होति दसमं तु। अहगुरुगं 'बारसमं, गुरुपक्खे एस२ पडिवत्ती॥ 1843. छटुं च चउत्थं वा, आयंबिल एगठाण पुरिमड़े। णिव्वितिगं दातव्वं, 'अहलहुसे अहव' सुद्धो वा॥ 1844. ववहारो आरोवण, सोधी पच्छित्तमेयमेगटुं। थोवो तु अहालहुसो, पट्ठवणा होति दाणं तु॥ 1845. ओहेण एस भणितो, एत्तो वोच्छं पुणो विभागेणं / तिग नव सत्तावीसग', एक्कासीती च भेदेणं // 1846. गुरुपक्खो लहुपक्खो, लहुसगपक्खो य तिविध एस भवे। एक्केक्को पुण' तिविधो, उक्कोसादी इमं वोच्छं / 1847. गुरुपक्खे उक्कोसा, मज्झ जहण्णो य एव लहुगे वि। ... एमेव लहुसगे वी, उक्कोसो मज्झिम जहण्णो॥ 1848. गुरुपक्खे छम्मासो, पणमासो चेव होति उक्कोसो। मज्झिम चतु' तेमासो, दुमास गुरुमासिग जहण्णो॥ 1849. लघुमास भिण्णमासो, वीसा वि य तिविधमेग लहुपक्खे। पण्णरस दसम पंचग, लहुसुक्कोसादि तिविधेसो / 1850. आवत्तितवो एसो, नवभेदो वण्णितो समासेणं / अहुणा तु सत्तवीसो, दाणतवो तस्सिमो होति / 1851. गुरु-लहु-लहुसगपक्खे, एक्केक्को नवविधो मुणेतव्वो। उक्कोसुक्कोसो या, उक्कोसगमज्झिम जहण्णो॥ 1852. मज्झिमउक्कोसो या, मज्झिममज्झो तहा जहण्णो य। होति जहण्णुक्कोसो, जहण्णमझो दुहजहण्णो // 1853. उक्कोसुक्कोसो या, उक्कोसगमज्झिमो जहण्णो य। ..मज्झिमउक्कोसो तू, मज्झिममज्झो जहण्णो य॥ 1. च (ब)। 5. पुणो (पा, ला)। २.दुवालसमं, गुरुगे पक्खम्मि (बृ६०४३, व्य 1069,1121) / 6. मज्झम (पा, ला)। 3. अहालहुसगम्मि (बृ६०४४,६२४०,व्य 1070,1122) / 7. तू (ब, ला, मु)। 4. वीसा (ला)। 8. प्रतियों में इस गाथा के बाद 'गुरुपक्खो' का उल्लेख है /