________________ 190 जीतकल्प सभाष्य 1832. गुरुगो गुरुगतरागो, अहगुरुगो एस होति गुरुपक्खे। णवविधववहारेसो, आवत्ती तेसि वोच्छामि // 1833. पण दस पण्णरसं वा, तिविधेसो होति लहुसपक्खम्मि'। वीसा य पण्णवीसा', तीसा वि य लहुगपक्खम्मि // 1834. गुरुमासो चतुमासो, छम्मासो चेव होति गुरुपक्खे। णवविह आवत्तेसा, णवविहदाणं अतो वोच्छं। 1835. णिव्विगतिं पुरिमड्डे, एक्कासणगं च लहुसपक्खम्मि। आयंबिलऽभत्तटुं, छटुं वा होति लहुपक्खे // 1836. अट्ठम दसम दुवालस, गुरुपक्खे एय होति दाणं तु। आवत्ती तवों एसो, समासतो णवहमक्खातो॥ 1837. णवविहववहारेसो, लहुसादि समासतो समक्खातो। पुणरवि ओहेण विभागतो य गुरुमादि वोच्छामि॥ 1838. गुरुगो गुरुगतरागो, अहागुरूगो व होति ववहारो। लहुगो लहुगतरागो, 'अहालहू चेव'६ ववहारो॥ 1839. लहुसो लहुसतरागो, अहालहूसो य होति ववहारो। एतेसिं पच्छित्तं, वोच्छामि अहाणुपुव्वीए॥ 1840. गुरुगो य होति मासो, गुरुगतरागो ‘य होति चतुमासो"। अहगुरुगो छम्मासो, 'गुरुपक्खे एस" पडिवत्ती॥ 1841. तीसा य पण्णवीसार, वीसा 'वि य होति लहुगपक्खम्मि 92 / 'पण्णरस दस य पंच य", 'लहुसगपक्खम्मि पडिवत्ती'५ // 1. 'खम्मी (ता, पा, ब, ला)। 2. पणुवी (पा, ब, ला)। 3. लहुस (पा, ब, ला)। 4. x (पा)। 5.4 (ला)। 6. लहू होइ (बृ 6039), हूसो य (व्य 1065) / 7. बृ 6040,6236, व्य 1066, 1118 / 8. भवे चउम्मासो (बृ 6041, व्य 1067, 1119) / 9. गुरुगे पक्खम्मि (बृ 6237, व्य)। १०.पा प्रति में इसके संदर्भ में निम्न उल्लेख संस्कृत भाषा में मिलता है-अत्र तीसा य त्ति थूलतायैवोक्तं अन्यथा लघुमासे सार्द्ध सप्तविंशतिरेव दिनानि भवंति (पा)। 11. पण्णु (ता, पा, ला)। 12. पण्णरसेव य (व्य 1068,1120) / 13. पणरस (पा, ब, ला)। 14. दस पंच य दिवसाई (व्य)। 15. अहालहुसगम्मि सुद्धो वा (बृ६०४२)।