________________ पाठ-संपादन-जी-४२-४५ 177 1704. पढमो जावंतज्झोयरो तु एसो यहो मुणेतव्वो। सुहुमतिगिच्छा संथव, वयणे तू होति णातव्वो॥ 1705. कद्दममक्खित पुढवी-आऊ-उदउल्लमक्खिते जं तु। वणकायपरित्तेणं, उक्कुटे मक्खिततिगेणं / / 1706. दायगउवहत एत्तो, दायग बालादियऽप्पभू जे य। एतेसेत्थऽहिगारो, ते य इमे' होंति बालादी॥ 1707. बाले वुड्डे मत्ते, उम्मत्ते वेविते य जरिते य। एते देति तु जं तू, तं होती दायगोवहतं // * 1708. एतेसु जहुद्दिढेसाऽऽहडमादीसु जरितयंतेसु। पत्तेयं पत्तेयं, सोधी एत्थं तु पुरिम९॥ पत्तेयपरंपरठवित-पिहित-मीसे अणंतरादीसु। पुरिमर्दू संकाए, जं संकति तं समावज्जे॥४२॥ 1709. वणकायपरित्तेणं, सच्चित्तपरंपरं तु णिक्खित्ते / - तेणेव य पिहितं तू, परंपरं होति विण्णेयं // 1710. एमेव य साहरिते, सच्चित्तपरंपरे परित्तम्मि। मीसपरित्त अणंतर, णिक्खित्ते होंतिर णातव्वं // 1711. आदिग्गहणेणं तू, पिहिते उ अणंतरे तु मीसम्मि। एमेव य साहरणे, मीसेसु अणंतरे होति // 1712. सव्वेसु जहुद्दिढेसु, सोधिर पुरिमड्डमेत्थ पत्तेयं / संकाए जं संकति, तस्सेव य होति पच्छित्तं // इत्तरठविते सुहुमे, ससणिद्ध सरक्ख मक्खिते चेव। मीसपरंपरठवियादिगेसु बितिएसु वा विगती॥४३॥ 1713. इत्तरठवणा भत्ते, पाहुडिया सुहुम तह य ससिणिद्धे / आऊ मक्खितमेतं, ससरक्खं पुढविए होति // 1. इमो (ला)। 5. सुहुमं (ला, ब)। 2. होति (मु)। 6. बीएसु (ला)। 3. सोहिं (ब)। 7. ससिणद्धे (ब)। 4. इतर?' (पा)।