________________ पाठ-संपादन-जी-३५ 151 1415. भिक्ख पविट्ठो य तओ, पडिसेहे अण्ण लब्भमाणं पि। सीहेसरमलहतो, संकिस्सति भावतो अह सो॥ 1416. सीहेसरगतचित्तो, विसरिसचित्तो य धम्मलाभो त्ति। बेती सीहे सरए, सूरत्थमिते वि हिंडति तु॥ 1417. सड्ढड्डत्त केसरभायणभरणं च पुच्छ पुरिमड्डे। उवओग चंदजोयण', साहु त्ति विगिंचणेरे गाणं // 1418. कोहादीणं कमसो, एमेते वण्णिता तु आहरणा। एतेसिं चिय कमसो, आवत्ती दाण वोच्छामि॥ 1419.. कोधे माणे चतुलहु, आवत्ती दाण होति आयामं / मायाए मासगुरू, आवत्ती दाण भत्तेक्कं // 1420. लोभे चउगुरुगा तू, आवत्ती दाण होतऽभत्तटुं। संथुणण संथवो तू, थुणणारे वंदणगमेगटुं॥ 1421. दुविहो यो 'संथवो खलु'५, संबंधी वयणसंथवो चेव। एक्केक्को पुण' दुविहो, पुट्विं पच्छा य णातव्वो॥ 1422. संबंध पुव्व दुविधो, इत्थी पुरिसे य होति णातव्वो। . एमेव य पच्छा वी, आवत्ती दाण वोच्छामि // 1423. इत्थीए चतुगुरुगा, पुरिसेसू चतुलहू मुणेतव्वा। चतुगुरुए तु चतुत्थं, चतुलहुगे दाणमायामं / / 1424. वयणे वि पुव्व दुविधो, इत्थी पुरिसे य होति णातव्वो। एमेव य पच्छा वी, आवत्ती दाण वोच्छामि॥ 1425. इत्थीए मासगुरुं, आवत्ती दाण होति भत्तेक्कं / पुरिसे मासलहुं तू, आवत्ती दाण पुरिमटुं 1426. संबंधपुव्वसंथवों, माय-पियादी तु होति णातव्वो। सासुय-ससुरादीओ, संबंधीसंथवो . पच्छा // 1. संत चोदण (पिनि 220/2) / 5. भावसंथवो (नि 1040) / 2. चणा (पिनि)। 6. वि य (पिनि, नि)। 3. थुणणो (पा, ला)। 7. x (पा, ला)। 4. उ (पिनि 221, नि ) / 8. सासुर (ता)।